🔱 रामेश्वरम घाट पर पितृ शांति पूजा एवं शिव रुद्राभिषेक में भाग लेकर आप भी पा सकते पितृ दोष से राहत और परिवार में समृद्धि का दिव्य आशीर्वाद 🔱
पितृ पक्ष सनातन परंपरा में वह समय है जब हम अपने पूर्वजों को श्रद्धापूर्वक स्मरण करते हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि पितरों को विधिवत तर्पण और पूजा अर्पित नहीं की जाती, तो उनकी आत्माएं तृप्त नहीं हो पातीं और इसका असर परिवार के जीवन में रुकावटों और असंतुलन के रूप में दिखाई देता है। इस समय किया गया तर्पण और श्राद्ध केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि अपने पितरों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का माध्यम है। इसी भाव से लोग पितृ पक्ष में पूजा करके अपने पूर्वजों की स्मृति को जीवित रखते हैं और उनसे आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं। इसी भावना के अनुरूप रामेश्वरम घाट पर पितृ शांति पूजा एवं शिव रुद्राभिषेक का आयोजन किया जा रहा है। रामेश्वरम घाट को प्राचीन काल से ही अत्यंत पवित्र स्थल माना गया है। मान्यता है कि यहाँ पितरों के लिए किया गया तर्पण उन्हें शांति की दिशा देता है और वंशजों को मानसिक स्थिरता का अनुभव कराता है।
इस अनुष्ठान में जल अर्पण और तर्पण के साथ भगवान शिव का रुद्राभिषेक भी किया जाएगा। भगवान शिव को करुणा और मोक्ष का देव कहा गया है और रुद्राभिषेक की परंपरा साधक के मन को शांति और स्थिरता देने वाली मानी जाती है। इस साधना का स्वरूप सरल लेकिन गहन होता है। आचार्यगण वेद मंत्रों और रुद्र सूक्त के उच्चारण के साथ पितरों का आह्वान करते हैं और पवित्र जल से तर्पण संपन्न किया जाता है। इसके बाद शिवलिंग का रुद्राभिषेक होता है, जिसे पितरों की स्मृति और उनके प्रति श्रद्धा अर्पित करने का एक सुंदर माध्यम माना जाता है। इस अवसर पर परिवारजन मिलकर अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उनसे मार्गदर्शन व कृपा की प्रार्थना करते हैं। पितृ पक्ष में रामेश्वरम घाट पर होने वाली यह पूजा केवल कर्मकांड नहीं, बल्कि परिवार और पूर्वजों के बीच आत्मिक जुड़ाव का प्रतीक है। यह अनुष्ठान उस भाव को व्यक्त करता है कि हम अपनी जड़ों को नहीं भूलते और अपने पितरों के प्रति सदैव आभारी रहते हैं।
इस पावन अवसर पर श्रद्धालु अपने पूर्वजों की शांति और परिवार की भलाई की कामना के लिए श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष अनुष्ठान में भाग ले सकते हैं।