सनातन धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। यह वह पवित्र समय है, जब हम अपने पूर्वजों की आत्मा शांति और मोक्ष के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे अनुष्ठान करते हैं। शास्त्रों के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान माना जाता है कि हमारे पूर्वज पितृ लोक से पृथ्वी पर आते हैं ताकि अपने वंशजों से श्रद्धा, तर्पण और अर्पण प्राप्त कर सकें।
इस अवधि की प्रत्येक तिथि का अलग महत्व है। अश्विन कृष्ण प्रतिपदा उन पितरों के लिए विशेष मानी जाती है, जिनका देहांत किसी भी महीने की प्रतिपदा तिथि को हुआ हो। वेदों, उपनिषदों और पुराणों में श्राद्ध और तर्पण का महत्व विस्तार से बताया गया है। गरुड़ पुराण के अनुसार, यदि ये अनुष्ठान न किए जाएं तो पितृ ऋण अधूरा रह सकता है, जिससे परिवार में तरह-तरह की कठिनाइयाँ उत्पन्न होती हैं, जैसे – नौकरी में रुकावट, संतान की शिक्षा या करियर में देरी, आर्थिक तंगी और बार-बार स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ।
इस पवित्र अवसर पर श्री मंदिर द्वारा पंच तीर्थ पितृ दोष निवारण महापूजा का आयोजन अश्विन कृष्ण प्रतिपदा को किया जा रहा है। इस अनुष्ठान के लिए देश के पाँच प्रमुख मोक्ष स्थल चुने गए हैं, जहाँ एक साथ विशेष पूजाएँ होंगी:
🛕 धर्मारण्य वेदी, गया – विष्णु पुराण के अनुसार यहाँ श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
🛕 गोकर्ण क्षेत्र, कर्नाटक – स्कंद पुराण में वर्णित, यहाँ श्राद्ध करने से पितरों की अपूर्ण इच्छाएँ पूर्ण होती हैं और आत्मा को मुक्ति मिलती है।
🛕 गंगा घाट, हरिद्वार – गंगा माँ को मोक्षदायिनी माना गया है। यहाँ तर्पण और पिंडदान करने से पितरों के दुख दूर होकर आशीर्वाद प्राप्त होता है।
🛕 रामेश्वरम घाट, तमिलनाडु – मान्यता है कि स्वयं भगवान श्रीराम ने यहाँ पितृ तर्पण किया था, इसलिए यह स्थान पितृ शांति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
🛕 पिशाच मोचन कुंड, काशी – माना जाता है कि यहाँ किए गए अनुष्ठान पितरों को पापबंधन से मुक्त कर ऊँचे लोकों की ओर प्रस्थान का मार्ग देते हैं।
इस महापूजा के दौरान गंगा दूध अभिषेक, पंच भोग अर्पण, दीप दान और गंगा आरती भी आयोजित की जाएगी। श्रद्धा से किया गया यह अनुष्ठान पितरों की आत्मा की शांति, परिवार की समृद्धि और जीवन में सुख-शांति का आशीर्वाद देने वाला माना गया है।
श्री मंदिर द्वारा आयोजित यह अनुष्ठान पाँचों मोक्ष स्थलों पर एक साथ सम्पन्न होगा, जिससे पूजा की शक्ति और भी बढ़ जाती है।
🪔 पितरों की कृपा से घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद पाने का यह अद्भुत अवसर है।