🛕 दैवीय सुरक्षा के आह्वान के लिए नवरात्रि के पावन काल में होने जा रहा है 25 ब्राह्मणों द्वारा विशेष महानुष्ठान ✨🔥
🙏 इस अनुष्ठान से जुड़ने का दुर्लभ अवसर जाने न दें। 🌸🕉️
शारदीय नवरात्रि का पर्व पूरे भारत में आस्था और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। यह नौ दिनों तक चलने वाला उत्सव अच्छाई की बुराई पर विजय की स्मृति है। कथा है कि जब राक्षस महिषासुर ने तीनों लोकों में आतंक मचा दिया और देवताओं तक को परास्त कर दिया, तब देवताओं ने माँ आदिशक्ति का आह्वान किया। माँ दुर्गा ने लगातार नौ दिन और रात युद्ध किया और दसवें दिन महिषासुर का वध कर धर्म और सत्य की रक्षा की। तभी से नवरात्रि के ये नौ दिन देवी के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा के लिए विशेष माने जाते हैं।
कहा जाता है कि इन पावन दिनों में हर दिन साधक को अलग शक्ति और आशीर्वाद मिल सकता है। यह समय केवल पूजा-पाठ का ही नहीं, बल्कि अपने भीतर नई ऊर्जा जगाने, भय और नकारात्मकता को दूर करने और सकारात्मकता बढ़ाने का अवसर भी माना गया है। इन दिनों में देवी के रौद्र स्वरूपों की साधना का महत्व और भी बढ़ जाता है। मान्यता है कि नवरात्रि की तृतीया को यदि श्रद्धापूर्वक माँ बगलामुखी और माँ प्रत्यंगिरा की पूजा की जाए तो दैवीय सुरक्षा प्राप्त हो सकती है और जीवन की अदृश्य बाधाएँ कम हो सकती हैं।
सनातन परंपरा में ऐसा कहा गया है कि माँ बगलामुखी की साधना से शत्रु शांत होते हैं, कानूनी उलझनें सरल होती हैं और जीवन की रुकावटें घट सकती हैं। वहीं माँ प्रत्यंगिरा की आराधना को घर और मन से नकारात्मकता दूर करने वाला माना गया है। विश्वास है कि उनकी कृपा से नकारात्मक ऊर्जा, बुरी शक्तियों और अदृश्य संकटों से रक्षा मिल सकती है।
इसी मान्यता के आधार पर हरिद्वार स्थित सिद्धपीठ माँ बगलामुखी मंदिर में इस अवसर पर एक विशेष अनुष्ठान का आयोजन हो रहा है। इसमें बगलामुखी–प्रत्यंगिरा कवच पाठ, 1,25,000 बगलामुखी मूल मंत्रों का जाप और हवन सम्पन्न किए जाएंगे। यह अनुष्ठान 25 विद्वान पंडितों द्वारा किया जाएगा। ऐसा माना जाता है कि इस पूजा में भाग लेने वाले भक्तों को साहस, मानसिक स्पष्टता और सुरक्षा का आशीर्वाद मिल सकता है और वे जीवन की अदृश्य चुनौतियों को पार करने में समर्थ हो सकते हैं।
आप भी श्री मंदिर के माध्यम इस विशेष अनुष्ठान से जुड़ें।🙏