✨सनातन धर्म में मां महालक्ष्मी को धन, सौभाग्य, वैभव और घर-परिवार की स्थिरता की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि जहां देवी लक्ष्मी की कृपा रहती है, वहां जीवन में सकारात्मकता, सहजता और मानसिक शांति का प्रवाह बना रहता है। मां लक्ष्मी का स्मरण व्यक्ति को उसकी दिनचर्या, संबंधों और लक्ष्यों में संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा देता है।
✨इसी देवी-ऊर्जा को ध्यान में रखते हुए साल के आखिरी शुक्रवार का विशेष महत्व बताया गया है। माना जाता है कि जब वर्ष समाप्ति के करीब होता है, तब मन स्वाभाविक रूप से आने वाले दिनों की दिशा तय करने लगता है। इस समय मां लक्ष्मी की पूजा मन की रुकावटों को शांत करने और नई शुरुआत के लिए एक सकारात्मक वातावरण बनाने में सहायक मानी जाती है। शुक्रवार स्वयं देवी का प्रिय दिन माना गया है, इसलिए वर्षांत का यह शुक्रवार साधना और चिंतन के लिए अत्यंत उपयुक्त माना जाता है।
✨इसी खास अवसर पर 11 हज़ार महालक्ष्मी मंत्र जाप और वैभव लक्ष्मी पूजा का आयोजन हो रहा है। मंत्र-जाप सदियों से मन को स्थिर और केंद्रित करने का मार्ग माना जाता रहा है। मान्यता है कि मंत्रों के स्पर्श से मन में संचित तनाव और उलझनें कम होने लगती हैं, जिससे व्यक्ति अपने विचारों को स्पष्ट रूप से समझ पाता है। वर्षांत के समय किया गया यह जाप साधक को आने वाले वर्ष के लिए एक शांत और सकारात्मक मनोदशा तैयार करने का अवसर प्रदान करता है।
✨इस पूजा का आयोजन शक्तिपीठ मां महालक्ष्मी अंबाबाई मंदिर में होना इसे और भी पवित्र बना देता है। यह वही मंदिर है जहां सूर्यदेव वर्ष में तीन बार माता के प्रति आस्था प्रकट करते हैं। इस पवित्रता और ऊर्जा से भरे वातावरण में मंत्र-जाप और हवन करने से साधक अपने मन और जीवन में अधिक गहराई से जुड़ा महसूस करता है। ऐसा माना जाता है कि इस समय यहां की गई साधना व्यक्ति को आर्थिक दबाव, पारिवारिक उलझनों और मानसिक बोझ को समझने और धीरे-धीरे उससे राहत पाने की दिशा देती है।
✨मां वैभव लक्ष्मी का स्वरूप जीवन में सौम्यता, समृद्धि और स्थिरता का भाव जगाने वाला माना जाता है। वर्ष के आखिरी शुक्रवार पर इस स्वरूप की पूजा से पुराने अनुभवों और बोझों को पीछे छोड़ने तथा नए वर्ष का स्वागत नई भावना के साथ करने का अवसर मिलता है। यह समय स्वयं को व्यवस्थित करने, बीते वर्ष के प्रति आभार व्यक्त करने और आने वाले दिनों के लिए एक सकारात्मक दृष्टि बनाने का माना गया है।
श्री मंदिर के माध्यम से इस वर्षांत महालक्ष्मी अनुष्ठान में भाग लें और मां लक्ष्मी से धन, आनंद, राहत और नए वर्ष में चारों दिशाओं से उन्नति की प्रेरक कृपा प्राप्त करें।