🪔 देवी भागवत पुराण के अनुसार, दस महाविद्याओं की उत्पत्ति भगवान शिव और माता सती के बीच हुए एक संवाद से जुड़ी है। जब सती अपने पिता दक्ष के यज्ञ में जाने की इच्छा प्रकट करती हैं और शिव उन्हें रोकते हैं, तब सती अपने वास्तविक स्वरूप ‘महाकाली’ में प्रकट होती हैं। भगवान शिव को रोकने के लिए देवी अपने दस उग्र रूपों को प्रकट करती हैं, जो आगे चलकर दस महाविद्याओं के रूप में जाने गए। शनिवार को शनिदेव के साथ मां के इस उग्र रूप की आराधना अदालती मामलों में विजय के लिए बेहद फलदायी मानी गई है। यह अनुष्ठान शनिदेव और महाविद्या की अनूठी शक्ति को आमंत्रित करता है, जिनके आशीर्वाद से जीवन में नए और बड़े बदलाव संभव हैं।
🪔 दस महाविद्याओं में आठवीं मानी जाती हैं देवी बगलामुखी, जिन्हें ‘स्तम्भन शक्ति’ की देवी भी कहा जाता है। मां बगलामुखी की स्तम्भन शक्ति, शत्रु की वाणी, सोच और निर्णय शक्ति को कमजोर कर सकती है। उनकी साधना विशेष रूप से न्यायिक मामलों, कोर्ट केस, सरकारी अड़चनों और शत्रु बाधाओं से छुटकारा पाने के लिए फलदायी मानी जाती है। विशेषकर कुछ खास विधियों से की गई इस पूजा से शत्रु विजय, वाद–विवाद में सफलता और धन–प्राप्ति के नए रास्ते खुल सकते हैं।
🪔 वहीं, शास्त्रों के अनुसार, शनिदेव कर्म और न्याय के देवता हैं, इसलिए शनिवार को की गई शनि साधना विशेष फलदायी हो जाती है। शनिदेव की कृपा से न सिर्फ इस जीवन, बल्कि पिछले जीवन से जुड़े कर्मों में भी सुधार संभव है। इस शुभ अवसर पर उज्जैन के श्री नवग्रह शनि मंदिर और माँ बगलामुखी मंदिर में शनि–बगलामुखी संयुक्त हवन और कानूनी विजय संकल्प पूजा का आयोजन होने जा रहा है। यह दिन न्याय, शत्रु विजय और आत्मिक शक्ति की प्राप्ति के लिए विशेष माना गया है। ऐसे में इस शनिवार को यह पूजा भक्तों के लिए शुभ अवसर हो सकता है, जिसमें भाग लेना न भूलें।
🛕 श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष अनुष्ठान का हिस्सा बनें और शत्रुओं पर विजय तथा कोर्ट-कचहरी के मामलों में सफलता के लिए देवी बगलामुखी और शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त करें।