🔱 सावन पूर्णिमा पर पितृ दोष राहत का त्रि-तीर्थ समाधान – खोलिए अपने भाग्य के द्वार 🔱
सावन माह की पूर्णिमा को अत्यंत शुभ और ऊर्जावान तिथि माना जाता है। यह वह समय होता है जब भक्ति, साधना और पूर्वजों की कृपा पाने की संभावनाएं कई गुना बढ़ जाती हैं। यदि आपके जीवन में लगातार बिना किसी स्पष्ट कारण के कार्य अटकते हैं, विवाह या संतान से जुड़ी बाधाएं बनी रहती हैं, या मानसिक अशांति और पारिवारिक कलह का माहौल रहता है, तो यह पितृ दोष का संकेत हो सकता है। ऐसा माना जाता है कि जब पूर्वजों की आत्मा तृप्त नहीं होती या उनके लिए विधिपूर्वक तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध नहीं किए जाते, तो उनका असंतोष वंश परंपरा को प्रभावित करता है। इसका प्रभाव जीवन में आर्थिक अस्थिरता, दीर्घकालिक रोग, मानसिक उलझन और पारिवारिक विघटन के रूप में सामने आता है।
सावन की पूर्णिमा पर की गई पितृ पूजा विशेष रूप से प्रभावशाली मानी जाती है, क्योंकि यह तिथि आत्मीय ऊर्जा के चरम पर होती है और पितरों तक हमारी श्रद्धा और कर्म सबसे तीव्रता से पहुंचते हैं। इसी विशेष अवसर पर श्री मंदिर के माध्यम से त्रि-तीर्थ पितृ शांति अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें देश के तीन मोक्षदायी तीर्थों काशी के पिशाच मोचन कुंड, रामेश्वरम घाट, और गोकर्ण क्षेत्र में एक साथ यह पूजा करवाई जाएगी।
🔹काशी, मोक्ष की नगरी, जहां पिशाच मोचन कुंड में गरुड़ पुराण के अनुसार पिंडदान से पितरों को शीघ्र राहत मिलती है और वंश परंपरा को शांति प्राप्त होती है।
🔹 रामेश्वरम घाट, वह तीर्थ जहाँ स्वयं भगवान श्रीराम ने अपने पितरों के लिए जल तर्पण कर श्राद्ध परंपरा की पुनःस्थापना की।
🔹 गोकर्ण क्षेत्र, आत्मलिंग की भूमि, जहां कोटितीर्थ और समुद्र संगम पर त्रिपिंडी तर्पण पूर्वजों को दीर्घकालीन शांति और वंशजों को पितृ कृपा प्रदान करता है।
सावन पूर्णिमा जैसे दिव्य दिन पर जब देवताओं और पितरों की कृपा एक साथ प्राप्त की जा सकती है, तब इस त्रि-तीर्थ अनुष्ठान में भाग लेकर दोनों पक्षों के पितरों – माता और पिता कुल – को मोक्ष, संतोष और शांति दें, और अपने जीवन में सौभाग्य, स्थिरता और आशीर्वाद आमंत्रित करें।