🪔 शतभिषा नक्षत्र में राहु शांति जाप-हवन से मिल सकता है मानसिक स्थिरता का आशीर्वाद
शतभिषा नक्षत्र का स्वामी राहु है, जिसे कर्म, मोक्ष और अदृश्य बाधाओं का कारक माना गया है। राहु की उल्टी चाल से जीवन में अचानक रुकावटें, मानसिक अस्थिरता, पारिवारिक विवाद, और स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं। ऐसे समय में शतभिषा नक्षत्रकाल के दौरान राहु शांति जाप और हवन अत्यंत फलदायी हो जाता है। इस विशेष अनुष्ठान में वैदिक मंत्रों द्वारा राहु की प्रसन्नता और शांति के लिए प्रार्थना की जाती है। मान्यता है कि विद्वान ब्राह्मणों द्वारा कराए जाने वाले इस अनुष्ठान से छिपी बाधाएं शांत हो सकती हैं और जीवन में उन्नति के नए अवसर खुलते हैं।
🕉️ राहु ग्रह को छाया ग्रह कहा जाता है, जो इच्छाओं, भ्रम, भौतिक सुख-सुविधाओं, रहस्यों और अचानक आने वाले परिवर्तनों का प्रतीक माना जाता है। कुंडली में राहु की स्थिति के अनुसार, इसका प्रभाव सकारात्मक या नकारात्मक हो सकता है। प्रसन्न राहु व्यक्ति को सफलता, प्रसिद्धि, विदेश यात्रा जैसे मौके देता है, जबकि नाराज़ राहु मानसिक तनाव, करियर में बाधा, पारिवारिक कलह, कानूनी उलझनें और अचानक नुकसान ला सकता है। शास्त्रों में इसके प्रतिकूल प्रभाव कम करने के लिए शतभिषा नक्षत्र में राहु शांति पूजा और हवन का महत्व बताया गया है। इससे जीवन में संतुलन, स्थिरता और प्रगति के नए रास्ते खुल सकते हैं।
🏵️ उत्तराखंड स्थित राहु पैठाणी मंदिर को राहु दोष निवारण के लिए बेहद शक्तिशाली तीर्थ माना गया है। मान्यता है कि यहां होने जा रहे राहु शांति जाप और हवन से जीवन में छिपी बाधाएँ, मानसिक तनाव, करियर में रुकावटें और पारिवारिक कलह से राहत की दिशा मिलती है। इस विशेष अनुष्ठान में वैदिक पंडित राहु बीज मंत्रों का जाप और पवित्र हवन करते हैं, जिससे राहु के अशुभ प्रभाव शांत होने शुरू हो जाते हैं। श्रद्धा और भक्ति से कराया गया यह पूजन भक्तों के जीवन में स्थिरता, मानसिक शांति, धन-संपन्नता के नए अवसर ला सकता है। यह पूजा विशेष रूप से शतभिषा नक्षत्र और राहु काल में अत्यंत प्रभावी मानी गई है।
🪔 श्री मंदिर के माध्यम से शास्त्रों में सुझाई गई राहु शांति पूजा में भाग लें और मानसिक स्थिरता, निर्णय लेने में स्पष्टता और सफलता का आशीर्वाद पाएं।