🛕 नवरात्रि की शुरुआत 1008 सहस्रवृत्ति अर्गला स्तोत्र के साथ - पाएं शत्रुओं के नाश और बाधाओं से राहत का आशीर्वाद
🙏 क्या सफलता की राह में रुकावटें आ रही हैं?
इस नवरात्रि, मां दुर्गा की दिव्य कृपा से जीवन की बाधाओं को शांत करें। नवरात्रि के पहले दिन मां अपनी शक्ति जागृत करती हैं, जिससे नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और जीवन में नए अवसरों के द्वार खुलते हैं। इस विशेष पूजा में शामिल होकर, आप मां की उस शक्ति से जुड़ते हैं, जो आपको हर संकट से बचा सकती हैं और आगे बढ़ने का मार्ग दिखा सकती है।
⚛️ नवरात्रि की पवित्र शुरुआत
नवरात्रि की शुरुआत मां शैलपुत्री की पूजा से होती है, जो पर्वतराज हिमवान की पुत्री हैं। वे प्रकृति की अडिग शक्ति, साहस और स्थिरता की प्रतीक हैं। मां सती के शरीर त्यागने के बाद, वे पार्वती के रूप में जन्मीं। मां शैलपुत्री हमें जीवन की सबसे कठिन चुनौतियों को साहस के साथ पार करने की प्रेरणा देती हैं। मान्यता है कि मां दुर्गा का महिषासुर के साथ युद्ध भी प्रतिपदा से शुरू हुआ था, जो हमें याद दिलाता है कि मां के आशीर्वाद से हम भी अपने जीवन की हर नकारात्मकता, ईर्ष्या, संघर्ष और कठिनाई को पार कर सकते हैं।
⚛️ अर्गला स्तोत्र और श्री सूक्त – दिव्य सुरक्षा कवच
सहस्रवृत्ति अर्गला का अर्थ दुर्गा सप्तशती के अर्गला स्तोत्र के पाठ से है, जिसमें देवी दुर्गा के कई नामों का जाप किया जाता है। अर्गला शब्द देवी के लिए एक कीलक यानी ताला-अवरोधक के रूप में काम करता है, जिससे राहत पाने के लिए इस स्तोत्र के पाठ की विशेष महिमा बताई गई है। इसमें 1008 अर्गला स्तोत्र पाठ किया जाएगा, जिसे बुरी शक्तियों को रोकने वाला ‘दिव्य कवच’ माना गया है। कहते हैं कि इसका हरेक श्लोक सुरक्षा का वह घेरा बनाता है, जिससे बाधाएं शांत होती हैं। इसके साथ श्री सूक्त हवन भी किया जाएगा, जो मां की कृपा लाकर जीवन में धन, शांति और समृद्धि की दिशा मजबूत करता है।
यह भव्य अनुष्ठान काशी के पवित्र दुर्गा कुंड मंदिर में 21 विद्वान ब्राह्मणों द्वारा संपन्न होगा। ये सामूहिक प्रार्थनाएं एक शक्तिशाली ऊर्जा का घेरा बनाती हैं, जो जीवन की रुकावटों को खत्म कर दिव्य आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष नवरात्रि पूजा में शामिल हों और मां दुर्गा की कृपा से जीवन में शत्रुओं का नाश और बाधाओं से निवारण की सही दिशा पाएं। 🌺