🔱 इस कालाष्टमी पर 4 महाविद्याओं से पाएं थकान, उलझन और जीवन की परेशानियों से राहत✨
आज के समय में जब जीवन की भागदौड़ से मन थक जाता है, रिश्तों में उलझनें बढ़ जाती हैं और आत्मविश्वास डगमगा जाता है, तब भीतर एक स्थिर और दिव्य शक्ति की ज़रूरत होती है। कालाष्टमी का दिन ऐसी ही शक्ति से जुड़ने का अवसर देता है। कालाष्टमी का दिन हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है। ऐसा माना जाता है कि यह दिन नकारात्मकता से रक्षा और आत्मबल जाग्रत करने के लिए विशेष रुप से फलदायी होता है।
इस बार कालाष्टमी पर शुक्रवार का योग भी बन रहा है। जोकि देवी साधना के लिए अत्यंग शुभ संयोग माना जाता है। इसीलिए इस कालाष्टमी एक नहीं बल्कि 4 महाविद्याओं की पूजा का आयोजन भारत के 4 अलग-अलग शक्तिपीठों में किया जा रहा है। इन 4 महाविद्याओं में मां तारा, मां काली, मां त्रिपुर सुंदरी और मां भैरवी शामिल हैं।
🔹 माँ काली – भय और संकटों से रक्षा करने वाली, जीवन की रक्षक और जाग्रत चेतना की देवी।
🔹 माँ भैरवी – भीतर छिपे डर, क्रोध और असंतुलन को शुद्ध करके आत्मबल प्रदान करती हैं।
🔹 माँ तारा – करुणा और मार्गदर्शन की शक्ति, जो बेचैनी को शांति में बदलती हैं।
🔹 माँ त्रिपुर सुंदरी – संतुलन, सहजता और स्पष्टता की देवी, जो जीवन में दिशा और सौंदर्य लाती हैं।
इन चार महाविद्याओं की साधना हेतु इस दिन तीन प्रमुख शक्तिपीठों में विशेष यज्ञ और पूजन का आयोजन हो रहा है:
🔸 कालीघाट शक्तिपीठ – यहाँ माता सती के दाहिने पैर की उंगली गिरी थी। यहां माँ काली और माँ भैरवी की पूजा की जाएगी।
🔸 श्री तारापीठ मंदिर – तंत्र साधना का प्रमुख केंद्र, जहाँ माता सती की आँख की पुतली गिरी थी। यहां माँ तारा की विशेष पूजा होगी।
🔸 माँ ललिता देवी मंदिर – त्रिवेणी संगम के पास स्थित इस स्थान पर माता सती की हाथ की उंगली गिरी थी। यहां माँ त्रिपुर सुंदरी की पूजा की जाएगी।
🌸 आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस माँ कालाष्टमी पर इन दिव्य महाविद्याओं की साधना में सम्मिलित होकर अपने भीतर की शक्ति को जागृत कर सकते हैं, क्योंकि जब मन डगमगाता है, तब माँ ही संभालती हैं। 🙏🪔