🚩 सावन की पूर्णिमा पर बन रहा है दुर्लभ संयोग : 11 हजार चंद्र मूल मंत्र जाप अनुष्ठान क्यों ज़रूरी?
हिंदू धर्म में सावन को महादेव का सबसे प्रिय और पवित्र महीना माना गया है। यह महीना भक्त को भगवान से जोड़ने वाले एक आध्यात्मिक पुल का काम करता है। यदि आप सावन के पूरे महीने घर या व्यापार में उलझे रहे तो शिव और चंद्र आराधना का यह सुनहरा और आखिरी अवसर है। इस दिन शिव जी के साथ चंद्र देव की आराधना क्यों हो रही है, इसके पीछे ग्रहों का दुर्लभ संयोग छिपा है। आइए रुद्राभिषेक की शक्ति और चंद्र मूल मंत्रों के ज्योतिषीय महत्व को समझें:
इस पूर्णिमा को चंद्र देव, शनि की मकर राशि में रहेंगे, जो देर रात कुंभ राशि में प्रवेश कर जाएंगे। चंद्रमा और शनि में शत्रुता होने से तीन राशियों के जीवन में बड़ा परिवर्तन आएगा। इन जातकों को धन का नुकसान, मानसिक तनाव, पारिवारिक कलह और स्वास्थ्य समस्याएं परेशान कर सकती हैं। साथ ही नौकरी और व्यापार में भी अचानक नुकसान हो सकता है। ज्योतिष के अनुसार, मिथुन, कर्क और मीन के जातक इस गोचर से सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं। जब यह संयोग दुर्लभ है तो इसका उपचार भी विधिवत और दिव्य काल में ही संभव है।
🕉️ 11 हजार चंद्र मूल मंत्र और रुद्राभिषेक:
पुराणों में सावन और रुद्राभिषेक से जुड़ी एक कथा मिलती है, जो भगवान शिव के अमृत पीने से जुड़ी है। जब उन्होंने समुद्र मंथन के दौरान हलाहल विष पीकर देवताओं और मानवता को बचाया था। सभी देवों ने मिलकर उन पर जल, धतूरे आदि चढ़ाए थे, ताकि उनका तेज शांत हो सके, तभी से सावन को शिव जी का समर्पित महीना माना जाता है। इस बार दुर्लभ गोचर के चलते चंद्र देव की संयुक्त आराधना भी अहम हो गई है, क्योंकि वह स्वयं शिव जी की जटाओं में विराजमान हैं। इस आराधना में 11 हजार चंद्र मूल मंत्र का पाठ किया जाएगा, जिससे चंद्र-शनि गोचर के विपरीत प्रभाव भक्तों को छू भी न सकें। चंद्र मूल मंत्र एक शक्तिशाली मंत्र है, जो चंद्र देव अनुष्ठानों में विधिवत प्रयोग होता है। इस मंत्र के माध्यम से भगवान चंद्रमा की कृपा और उनसे जुड़े दोषों की शांति का आशीर्वाद मिलता है।
आख़िर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग ही क्यों? 🔱🕉️
ऐसी मान्यता है कि ओंकारेश्वर, नर्मदा नदी के तट पर स्थित एक अत्यंत पवित्र स्थल है, जहाँ माँ नर्मदा स्वयं ॐ के आकार में बहती हैं। पुराणों में वर्णित है कि इक्ष्वाकु वंश के राजा मंदाता ने यहीं कठोर तप करके अपने वंश को रोग और असमय मृत्यु के संकट से मुक्त कराया था। इन्हीं आध्यात्मिक कारणों से यह अनुष्ठान ओंकारेश्वर में संपन्न हो रहा है, ताकि मंत्रों की शक्ति श्रद्धालुओं को ज्यादा से ज्यादा फल दे सके और चंद्र-शनि गोचर के बुरे फलों से कवच रूपी सुरक्षा मिल सके। सावन पूर्णिम पर आयोजित होने जा रहा यह रुद्राभिषेक और चंद्र मूल मंत्र अनुष्ठान इस साल का सुनहरा और आखिरी अवसर होने जा रहा है, जो ग्रहों की उल्टी चाल से रक्षा कर सकता है।
🔱 सावन पूर्णिमा पर श्री मंदिर द्वारा आयोजित होने जा रहे इस महाअनुष्ठान में भाग लें और महादेव और चंद्र देव से अपने परिवार के बेहतर स्वास्थ्य, मानसिक शांति और समृद्धि का आशीष पाएं।