इस विशेष शनिवार पाएं शनिदेव और यमराज से दीर्घायु और सौभाग्य का आशीष🙏
सनातन धर्म में यमराज और शनिदेव को न्याय का प्रमुख देवता माना जाता है। जोकि कर्म और धर्म के महत्व को उजागर करते हैं। यमराज को मृत्यु का देवता भी कहा गया है, जो आत्मा को उसके कर्मों के आधार पर न्याय प्रदान करते हैं। वहीं, शनिदेव कर्मफल के देवता हैं, जो व्यक्ति को उसके अच्छे और बुरे कर्मों का परिणाम इसी जीवन में दे देते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दोनों देवता सूर्यपुत्र है और आपस में भाई हैं। यही कारण है कि यमराज और शनिदेव की पूजा एक साथ करने से दीर्घायु, सौभाग्य और जीवन की बाधाओं से सुरक्षा का आशीर्वाद मिलता है। इस बार शनिवार को इन दोनों देवताओं की संयुक्त पूजा के विशेष योग बन रहे हैं। माना जाता है कि इस विशेष संयोग में यमदण्ड मुक्ति, 19000 शनि मूल मन्त्र जाप एवं यज्ञ करने से शनिदेव एवं यमराज से दीर्घायु के साथ दुर्भाग्य एवं विलम्ब से सुरक्षा का आशीष भी प्राप्त हो सकता है।
यमदण्ड मुक्ति अनुष्ठान अत्यंत फलदायी अनुष्ठान है, जिसकी मदद से यमराज के क्रोध एवं यम दंड से मुक्ति पाई जा सकती है। यह पूजा न केवल मृत्यु से जुड़े भय को समाप्त करती है, बल्कि आत्मा को शांति और मोक्ष का मार्ग भी प्रदान करती है। वहीं शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनि मूल मंत्र का जाप अत्यधिक प्रभावशाली माना गया है। मान्यता है कि शनि की महादशा 19 वर्षों तक चलती है और इस दौरान शनि मूल मंत्र का 19,000 बार जाप विशेष लाभकारी होता है। शास्त्रों के अनुसार, शनि के प्रतिकूल प्रभावों को दूर करने और जीवन की बाधाओं को समाप्त करने के लिए यह अनुष्ठान अत्यंत शुभ होता है। इस जाप को हवन के माध्यम से पूर्ण किया जाता है, जिससे इसका प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है। आप भी इस विशेष शनिवार पर श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष अनुष्ठान में भाग लें और यमराज व शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त कर अपने जीवन में सुख-समृद्धि पाएं।