🔱 सावन के शनिवार को महादेव के 11 रूपों की ऊर्जा और शनिदेव की कृपा का अनुभव करें
हिंदू धर्म में सावन को महादेव का सबसे प्रिय और पवित्र महीना माना गया है। कहते हैं कि सावन भक्त और भगवान को जोड़ने वाले एक आध्यात्मिक पुल का काम करता है। सावन के सोमवार तो दिव्य फलदायी माने ही गए हैं, साथ ही इस महीने के शनिवार को शनि देव की संयुक्त आराधना का भी बड़ा महत्व है। शनि को ग्रहों में सबसे उच्च दर्जा देने वाले महादेव ही हैं, जिनकी कृपा से भक्तों को जीवन का सही मार्गदर्शन प्राप्त हो सकता है। इसलिए, इस शनिवार को उज्जैन स्थित नवग्रह शनि मंदिर में महायज्ञ और तिल-तेल अभिषेक होने जा रहा है, जो सावन का सुनहरा अवसर है। मान्यता है कि यहां महादेव ही नवग्र शनि के रूप में विराजमान हैं।
साथ ही, इस शुभ दिन महादेव के 11 रूपों का आह्वान करने के लिए निशित काल में 11 कुण्ड एकादश रुद्र महायज्ञ की भी विशेष मान्यता है, जिसे करने से एक अनोखे आध्यात्मिक वातावरण का निर्माण हो सकता है। यह यज्ञ सावन के सबसे पवित्र समय में किया जाता है, जो कि भगवान शिव को बेहद प्रिय है। सावन के शनिवार पर आयोजित इस महायज्ञ में 11 अग्निकुण्डों के माध्यम से भगवान शिव के 11 रुद्र रूपों का आह्वान किया जाता है, जिनमें हर एक कुण्ड से विशेष ऊर्जा प्रवाहित होती है। शास्त्रों के अनुसार, निशित काल में किए गए ऐसे यज्ञ से गहरी नकारात्मक ऊर्जा, पुराने कर्म संबंधी अवरोध और अदृश्य शक्तियों से लड़ने में सहायता मिलती है।
🔱 जानें, 11 कुण्ड महायज्ञ और तिल-तेल अभिषेक की महिमा
सावन माह में निशित काल यानी मध्यरात्रि का समय इसलिए महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि इस समय आध्यात्मिक ऊर्जा सबसे प्रबल होती है और देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त करना सरल होता है। 11 अग्निकुण्डों का प्रयोग इसलिए किया जाता है, ताकि भगवान शिव के 11 रुद्र रूपों का एक साथ आह्वान किया जा सके। हर रुद्र रूप, शिव की एक विशेष शक्ति और परिवर्तनकारी ऊर्जा का प्रतीक होता है। साथ ही कर्मों के अनुसार फल देने वाले शनि देव को तिल-तेल अभिषेक करने से पिछले कर्मों के पाप भी पुण्यों में बदलने शुरू हो जाते हैं। जब यह अनुष्ठान सावन की ऊर्जा और निशित काल की शक्ति से जुड़ता है तो इसका असर कई गुना बढ़ जाता है, क्योंकि इस समय ब्रह्मांडीय तरंगें स्वाभाविक रूप से ज्यादा सक्रिय होती हैं।
आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस दिव्य अनुष्ठान में भाग लें और इस दुर्लभ संयोग में पूर्वजों से आशीर्वाद पाने और बुरे प्रभावों से राहत पाने के लिए शिव के सभी 11 रूपों का आह्वान करें।