📿वैकुंठ एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित अत्यंत पावन तिथि मानी गई है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन वैकुंठ लोक के द्वार भक्तों के लिए खुल जाते हैं, इसलिए इसका विशेष आध्यात्मिक महत्व है। ख़ास तौर से पौष माह के शुक्ल पक्ष में दक्षिण भारत में भव्यता के साथ मनाई जाने वाली इस एकादशी पर भगवान वेंकटेश्वर की आराधना का विधान है। मान्यता है कि इस तिथि पर सुप्रभातम सेवा, थोमाला सेवा और वेंकटेश्वर सहस्रनाम तुलसी अर्चना से कर्म चक्र समाप्त हो सकते हैं। वैकुंठ एकादशी पर ‘वैकुंठ द्वार’ की कामना के साथ यह महानुष्ठान हैदराबाद स्थित श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में संपन्न होगा। यह महापूजा परिवार से नकारात्मकता का अंत करने के लिए बेहद फलदायी मानी गई है।
📿वैकुंठ एकादशी, भगवान श्रीहरि विष्णु, विशेषकर भगवान वेंकटेश्वर (बालाजी) की आराधना का अत्यंत पावन दिन माना गया है। इस शुभ अवसर पर की जाने वाली सुप्रभातम सेवा, थोमाला सेवा और वेंकटेश्वर सहस्रनाम तुलसी अर्चना का विशेष आध्यात्मिक महत्व है। साल के अंत में होने जा रही यह आराधना पूरे परिवार के कर्म चक्रों को संतुलित करने और नकारात्मकता को सकारात्मकता में बदलने की शक्ति रखती है।
📿विद्वानों का विश्वास है कि प्रातः काल की सुप्रभातम सेवा के माध्यम से भगवान को जाग्रत कर उनका मंगल अभिवादन किया जाता है। माना जाता है कि इस सेवा से भक्तों के जीवन में नई ऊर्जा, सकारात्मकता और शुभ आरंभ का आशीर्वाद मिलता है। इसके पश्चात थोमाला सेवा में ताजे और सुगंधित पुष्पों से भगवान का भव्य श्रृंगार किया जाता है, जो भक्ति, समर्पण और सौंदर्य का अद्भुत प्रतीक है। इस महानुष्ठान में वेंकटेश्वर सहस्रनाम का पाठ और तुलसी अर्चना विशेष फलदायी मानी जाती है। जैसा कि हम सभी जानते हैं, तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है और सहस्रनाम के माध्यम से श्रीहरि के दिव्य गुणों का स्मरण करने से पाप क्षय, मन की शांति और मोक्ष मार्ग की प्राप्ति संभव है।
🪷 श्री मंदिर द्वारा इन सेवाओं में सहभागी होकर भक्त वैकुंठ लोक की कृपा, सुख-समृद्धि और विष्णु अनुग्रह का अनुभव कर सकते हैं। 🙏