🪴 अजा एकादशी और राहु का नक्षत्र - विष्णु जी और राहुदेव की आराधना का सुनहरा अवसर
हिंदू कैंलेडर में सावन समापन के बाद भाद्रपद महीने की शुरुआत होती है। भाद्रपद महीना त्योहारों से भरपूर रहता है, जिसमें जन्माष्टमी, अनंत चतुर्दशी जैसे त्योहार भक्तों के बीच धूमधाम से मनाए जाते हैं। त्योहारों के इस महीने में आराधना और अनुष्ठान भी भव्य हो जाते हैं, जिसके फल से भक्तों को जीवन में नए-नए अवसर मिलते हैं और उन्नति की दिशा मजबूत होती है। इसी के साथ मंगलवार को अजा एकादशी राहु के आर्द्रा नक्षत्र में आ रही है, जिसमें विष्णु जी के साथ राहुदेव की आराधना का दुर्लभ अवसर है। दो सिद्ध तीर्थ में होने जा रहे इस अनुष्ठान से भक्तों के पिछले पाप भी पुण्य में बदल सकते हैं और जीवन में असीम समृद्धि आ सकती है।
🪴 श्री विष्णु सहस्रनाम जाप:
यह भगवान श्री विष्णु के 1000 नामों का स्तुति पाठ है, जो महाभारत के अनुशासन पर्व में भीष्म द्वारा युधिष्ठिर को बताया गया था। इस जाप से मन, वाणी और कर्म शुद्ध होते हैं और जीवन में संतुलन, सुख और समृद्धि का आशीष मिलता है। यह पाठ मानसिक तनाव कम करता है, बुरे स्वप्नों से रक्षा करता है और भाग्यवृद्धि में भी सहायक माना गया है। विद्वान ब्राह्मणों द्वारा विधिवत किया गया यह जाप मोक्ष का द्वार भी खोल सकता है। एकादशी को विष्णु जी की आराधना का दिन माना गया है, इस दिन भक्त व्रत, आराधना और नारायण अनुष्ठान में भाग लेते हैं, जिससे जीवन को नई दिशा मिल सकती है।
🪴 अजा एकादशी की कथा और महत्व:
पुराणों के अनुसार, हरिशचंद्र नामक सत्यवादी राजा ने एक समय अपने वचन के पालन हेतु अपना राज्य, पत्नी और पुत्र तक त्याग दिया और श्मशान में काम करने लगे। दुख और कष्टों से पीड़ित राजा ने महर्षि गौतम से मार्गदर्शन माँगा। गौतम ऋषि ने उन्हें अजा एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। राजा हरिशचंद्र ने विधिपूर्वक इस व्रत का पालन किया, जिससे उनके सभी पाप नष्ट हो गए, खोया हुआ राज्य, पत्नी और पुत्र पुनः प्राप्त हो गए और अंत में वे स्वर्ग को प्राप्त हुए।
🪴 पितृ और राहु शांति महापूजा:
यह अनुष्ठान उनके लिए है, जो पितृ दोष और छाया ग्रह राहु के बुरे प्रभावों से जीवन में बाधा, अस्थिरता, मानसिक तनाव का अनुभव करते हैं। यह महापूजा विशेष रूप से राहु काल में की जाती है। एकादशी के दिन आर्द्रा नक्षत्र में राहु शांति हेतु विशेष मंत्र जाप और हवन किया जाता है। इस पूजन में राहु दोषों से रक्षा, पूर्वजों का आशीर्वाद और पापों को पुण्य में बदलने की शक्ति है। यह अनुष्ठान भक्तों के लिए आखिरी अवसर है, जो जीवन में राहु दोषों के चलते धन हानि, नौकरी-व्यापार में नुकसान और रिश्तों में खालीपन महसूस कर रहे हैं।
श्री मंदिर के माध्यम से अजा एकादशी पर राहु नक्षत्र पाप निवारण पूजा में भाग लें और विष्णु जी और पूर्वजों के आशीर्वाद से समृद्धि की दिशा में बढ़ने की प्रेरणा लें।