जब शनि राशि परिवर्तन करते हैं, तब तीन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती और दो राशियों पर ढैय्या मानी जाती है। जिस राशि में शनि प्रवेश करते हैं, उस राशि पर, उससे एक आगे और एक पीछे – तीनों पर साढ़ेसाती सक्रिय हो जाती है। इसी क्रम में 29 मार्च 2025 को जब शनि कुंभ से मीन राशि में आए, तो मेष राशि पर साढ़ेसाती का पहला चरण शुरू माना गया। इस समय कई लोग खर्च बढ़ना, काम में दबाव, मानसिक बोझ और योजनाओं में रुकावट जैसी स्थितियाँ महसूस करते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह अवधि व्यक्ति के व्यवहार, भावनाओं और परिस्थितियों में भीतर–बाहर कई बदलाव लाती है।
ज्योतिष में शनि और मेष राशि का संबंध स्वभाव से ही थोड़ा चुनौतीपूर्ण माना जाता है। मेष अग्नि तत्व की राशि समझी जाती है, जिसमें तेज निर्णय, उत्साह और तुरंत परिणाम चाहने की प्रवृत्ति रहती है। वहीं शनि धैर्य, अनुशासन और जीवन की वास्तविकता का ग्रह माना गया है। जब शनि मेष राशि को प्रभावित करता है, तब ऐसा समझा जाता है कि तेज गति थोड़ा धीमी होती है और कई कार्यों में रुकावटें महसूस हो सकती हैं। इसी कारण मन में चिड़चिड़ापन, असुरक्षा, बेचैनी और भविष्य को लेकर चिंता भी बढ़ सकती है। हालांकि परंपरा में यह भी माना गया है कि यह समय व्यक्ति को संयम, स्थिरता और व्यवहारिक सोच की ओर बढ़ने का अवसर देता है।
शनि का यह प्रभाव मेष राशि के द्वादश भाव से जुड़ता है। इस कारण धन की गति धीमी पड़ना, अचानक खर्चों का बढ़ना, नए कामों में देरी, कार्यस्थल पर मतभेद, और लंबे सफरों की परिस्थितियाँ आम तौर पर देखी जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि यह अवधि व्यक्ति को अपने कर्म, आदतों और जीवन की दिशा पर गंभीरता से ध्यान देने का समय भी देती है, ताकि आगे के समय में स्थिरता और स्पष्टता स्थापित हो सके।
इन्हीं प्रभावों को शांत करने और मन को संतुलित करने के उद्देश्य से मेष राशि के लिए शनि साढ़ेसाती शांति पूजा उज्जैन के पवित्र नवग्रह शनि मंदिर में की जा रही है। उज्जैन को शनि उपासना के लिए अत्यंत मान्य और पारंपरिक स्थल माना जाता है। यहां किए गए अनुष्ठानों को मन की शांति, जीवन में सुव्यवस्था और मानसिक संतुलन की दिशा में सहायक समझा जाता है।
यह अनुष्ठान श्री मंदिर के माध्यम से संपन्न कराया जा रहा है। इच्छुक श्रद्धालु इस अनुष्ठान में सम्मिलित होकर अपने मन, घर और जीवन में शांति और सहजता के भाव को मजबूत कर सकते हैं।