कार्तिगई मास तमिल पंचांग के सबसे शुभ महीनों में से एक माना जाता है। यह मास भगवान शिव की पूजा के लिए अत्यधिक शुभ माना गया है। वहीं, शास्त्रों के अनुसार, सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की अराधना करने से वो शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। यही कारण है कि इस दिन भक्त महादेव को प्रसन्न करने के लिए कई विधि विधान अपनाते हैं जिनमें महामृत्युंजय मंत्र का जाप अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन भगवान शिव के इस मंत्र का जाप करने से भक्तों में सकारात्मक ऊर्जा के साथ अच्छे स्वास्थ्य एवं तनाव मुक्त जीवन का आशीष मिलता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, चंद्रदेव ने सोमवार के दिन ही भगवान शिव की पूजा की थी, जिससे महादेव ने प्रसन्न होकर चंद्रदेव को निरोगी काया का आशीर्वाद दिया था। वहीं बात करें अगर धनवंतरि देव की तो सनातन धर्म में इन्हें भगवान विष्णु का अंश अवतार माना गया है।
धार्मिक ग्रंथों में मिलने वाली पौराणिक कथा के अनुसार, इनका प्रादुर्भाव समुद्र मंथन से हुआ था। समुद्र मंथन से प्रकट होने के बाद जब धनवंतरि ने विष्णु जी से अपना पद मांगा तो विष्णु जी ने कहा कि तुम्हें आने में थोड़ा विलंब हो गया, इसलिए तुम्हें तत्काल देवपद नहीं दिया जा सकता पर तुम द्वितीय द्वापर युग में पृथ्वी पर राजकुल में जन्म लोगे और तीनों लोक में तुम प्रसिद्ध और पूजित होगे। इस वर के कारण ही द्वितीय द्वापर युग में काशी में संस्थापक भगवान शिव की नगरी में काशी नरेश राजा काश के पुत्र धन्व की संतान के रूप में भगवान धनवंतरि ने जन्म लिया। जिसके बाद भारद्वाज से उन्होंने आयुर्वेद को पुनः ग्रहण करके उसे आठ अंगों में बांटा। भगवान धनवंतरि को समस्त रोगों के चिकित्सा की पद्धति ज्ञात थी। इसलिए भगवान धन्वंतरि को आरोग्यता प्रदान करने वाला देवता कहा गया। मान्यता है कि धनवंतरि देव की पूजा करने से स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों से राहत मिलती है। यही कारण है कि कार्तिगई मासम में सोमवार के दिन 7 ब्राह्मणों द्वारा 1,25,000 महामृत्युंजय मंत्र जाप और धन्वंतरि हवन का आयोजन किया जा रहा है। यह अनुष्ठान तिरुनेलवेली में स्थित एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर में किया जा रहा है, श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष अनुष्ठान में भाग लें और शारीरिक और मानसिक कल्याण का आशीर्वाद पाएं।