💰खूब मेहनत करने के बावजूद भी पैसा नहीं बचा पा रहे? जानें अपनी इस समस्या के सबसे प्रभावी उपाय के बारें में….
सनातन परंपरा के अनुसार, शुक्रवार का दिन माँ लक्ष्मी को समर्पित है, जो जीवन में धन, वैभव और शुभता का संचार करती हैं। लेकिन केवल लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त कर लेना ही पर्याप्त नहीं है। उस धन को सुरक्षित रखना और सही दिशा में उपयोग करना भी उतना ही आवश्यक है। शास्त्रों में इन समस्याओं के समाधान के लिए माँ लक्ष्मी के साथ भगवान कुबेर और बटुक भैरव की संयुक्त पूजा का विधान बताया गया है।
🔱 त्रिदेवों की त्रिकाल सुरक्षा से प्राप्त करें दीर्घकालिक समृद्धि का आशीर्वाद🔱
माँ लक्ष्मी जहाँ समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी हैं और भगवान कुबेर उस धन को स्थायित्व प्रदान करते हैं। वहीं बटुक भैरव जोकि भगवान भैरव का बाल स्वरूप हैं। वह धन को बुरी नज़र, धोखे और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षित रखते हैं। इस त्रिदेव शक्ति के एकत्र होने के पीछे एक पौराणिक कथा भी निहित है। दरअसल, एक बार माँ लक्ष्मी ने भगवान शिव से पूछा कि उनके कई भक्त धन पाने के बाद भी उसे बचा क्यों नहीं पाते। इस सवाल पर भगवान शिव ने समझाया कि केवल लक्ष्मी जी की कृपा से धन तो आता है, लेकिन यदि उसे सही सुरक्षा न मिले, तो वह गलत आदतों, लालच या पिछले कर्मों के प्रभाव से नष्ट भी हो सकता है। इसे रोकने के लिए भगवान शिव ने बटुक भैरव को धन की रक्षा का दायित्व सौंपा और भगवान कुबेर की पूजा का महत्व बताया ताकि धन का संरक्षण और विवेकपूर्ण उपयोग सुनिश्चित हो सके।
💎📿आप भी इस शुक्रवार प्राप्त करें इस विशेष त्रिदेव अनुष्ठान से आर्थिक समृद्धि के साथ स्थिरता का वरदान🌟🔱
आर्थिक स्थिरता, धन-संरक्षण और दीर्घकालिक समृद्धि हेतु त्रिदेवों का आशीर्वाद पाने के लिए इस शुक्रवार, दक्षिण भारत के तिरुनेलवेली स्थित पवित्र एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर में एक दुर्लभ त्रिदेव अनुष्ठान का आयोजन हो रहा है। इसमें 11,000 कुबेर मंत्र का जाप, बटुक भैरव कवच का पाठ और श्री सूक्त हवन शामिल है। ऐसा माना जाता है कि इस विशेष पूजा से साधक को न केवल धन की प्राप्ति होती है, बल्कि वह धन लंबे समय तक सुरक्षित और फलदायी भी बना रहता है। आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस अद्भुत अनुष्ठान में भाग लें और आर्थिक स्थायित्व, सुरक्षा और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त करें।