पंच देवताओं की पूजा पद्धति को ‘पंचायतन पूजा’ कहते हैं। यह स्मार्त सम्प्रदाय की एक पूजा पद्धति है। इस विधि में पाँच देवताओं की पूजा की जाती है, जिनमें से प्रत्येक पंच तत्वों में से एक का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये पंच देव, भगवान गणेश, देवी दुर्गा, भगवान शिव, ब्रह्मांड के रक्षक भगवान विष्णु और सूर्य देव, सूर्य नारायण हैं। जिनमें भगवान गणेश को जल तत्व, शिव जी को पृथ्वी तत्व, विष्णु जी को वायु तत्व, सूर्य देव को आकाश तत्व व देवी दुर्गा को अग्नि तत्व माना गया है। हिंदू धर्म में, बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित है, जो सौभाग्य, समृद्धि और ज्ञान के प्रतीक हैं। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से आशीर्वाद मिलता है जो भौतिक सफलता और बौद्धिक विकास दोनों को बढ़ाता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता यानी बाधाओं को दूर करने वाले, सुखकर्ता और दुखहर्ता के रूप में भी जाना जाता है।
कहते हैं कि इनके आशीष से भक्तों के जीवन में समृद्धि और ज्ञान का मार्ग प्रशस्त होता है। भगवान गणेश को समर्पित है ऋण नाशक गणेश स्तोत्र, जिसमें कर्ज मुक्ति एवं आर्थिक समस्याओं को हल करने की क्षमता होती है। इस शक्तिशाली स्तोत्र का पाठ न केवल वित्तीय बोझ को दूर करता है बल्कि मन की शांति और समृद्धि को आकर्षित करता है। यह स्तोत्र आर्थिक समस्याओं से दीर्घकालिक राहत के साथ सफलता व प्रचुरता के द्वार खोलने में मदद करता है। वहीं, भगवान गणेश को दूर्वा बेहद प्रिय है। कहते हैं कि इन्हें दूर्वा चढ़ाने से उनकी बुद्धि और ज्ञान का आशीर्वाद मिलता है। भगवान गणेश, जो अपनी गहन बुद्धि के लिए जाने जाते हैं, दूर्वा चढ़ाने से प्रसन्न होते हैं, जो बौद्धिक स्पष्टता, अंतर्दृष्टि और बुद्धिमानी से निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाता है। भगवान गणेश के 1008 नामों का जाप करते हुए प्रत्येक नाम के साथ दूर्वा चढ़ाकर, भक्त अपनी समझ को गहरा करने और जीवन की चुनौतियों को सफलतापूर्वक पार करने के लिए ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। इसलिए बुधवार को काशी के चिंतामणि गणेश मंदिर में ऋण नाशक गणेश स्तोत्र पाठ और 1008 गणेश दूर्वा अर्चना का आयोजन किया जाएगा।