⚖️ शत्रुओं से निपटने के लिए माँ बगलामुखी और शनिदेव की पूजा का अवसर।🙏
क्या आपके जीवन में चल रही उथल-पुथल ने सफलता और प्रगति को आपसे दूर कर दिया है? ऐसे समय में, जब लगातार असफलताएँ मिल रही हों, तो सोमवार का यह अनुष्ठान राहत पाने का एक प्रभावी माध्यम बन सकता है। माँ बगलामुखी और शनिदेव की पूजा विशेष रूप से कानूनी मामलों में विजय प्राप्त करने और शत्रुओं पर नियंत्रण पाने के लिए की जाती है। माँ बगलामुखी को शत्रुओं का नाश करने वाली और बंधनों को तोड़ने वाली देवी माना गया है, जबकि शनिदेव कर्मफल के दाता हैं। ऐसा माना जाता है कि शनिदेव की आराधना करने से पूर्व जन्मों के कर्मदोषों का प्रभाव कम होता है, जिससे कानूनी विवादों में सफलता के नए मार्ग खुलने लगते हैं।
माँ बगलामुखी की पूजा साधना का एक प्रमुख अंग है। वे दस महाविद्याओं में से एक हैं और उनकी शक्ति शत्रुओं का नाश करने, संकटों को दूर करने और मानसिक शांति बढ़ाने वाली मानी जाती है। माँ बगलामुखी की महिमा उनकी ‘स्तंभन शक्ति’ (निष्क्रिय करने की शक्ति) के कारण विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जो शत्रुओं को प्रभावहीन करने और हर प्रकार के संकट से रक्षा करने में सक्षम है। इस पूजा में विद्वान ब्राह्मण विशेष मंत्रों के जाप और विशेष हवन करते हैं, जिनमें दिव्य सामग्रियों का उपयोग किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह हवन शत्रुओं से सुरक्षा, कानूनी मामलों में राहत और कठिन परिस्थितियों पर विजय प्राप्त करने में सहायक होता है। यह पूजा जीवन की परेशानियों को शांति, विजय और समृद्धि में बदलने की शक्ति रखती है। मान्यताओं के अनुसार शनिदेव का तिल के तेल से अभिषेक करना अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह अभिषेक शनि के अशुभ प्रभावों से राहत दिलाता है और व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति और स्थिरता लाता है। यह पूजा शनिदेव के प्रति भक्ति और विश्वास को मजबूत करती है तथा मानसिक और शारीरिक तनाव से राहत देती है।
ऐसी मान्यता है कि इस अभिषेक से भक्त की समृद्धि बढ़ती है और उसकी कठिनाइयों का समाधान मिलने लगता है। विशेषकर जब माँ बगलामुखी और शनिदेव की शक्तियों का एक साथ आह्वान किया जाता है, तो इस अनुष्ठान का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। आप भी उज्जैन के दो पवित्र स्थलों पर आयोजित विशेष पूजा में सम्मिलित होकर कानूनी मामलों में राहत और शत्रुओं से सुरक्षा के लिए दिव्य आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।