सनातन धर्म में पूर्णिमा में का विशेष महत्व है। इस बार पूर्णिमा तिथि रविवार के दिन पड़ रही है, जो इसके महत्व को कई गुना अधिक बढ़ा रही है, क्योंकि रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित है। मान्यता है कि रविवार और पूर्णिमा के इस शुभ संयोग पर सूर्य देव की पूजा करने से नकारात्मकता से मुक्ति मिलती है और सफलता प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। सूर्य देव एकलौते ऐसे देव हैं जो प्रत्यक्ष रूप में हैं। मार्कंडेय पुराण के अनुसार, सम्पूर्ण जगत जब अंधकार में डूबा था, तब ब्रह्मा जी के मुख से निकले प्रथम शब्द ‘ॐ’ के तेज से ही सूर्य की उत्पत्ति हुई थी। वेदों में सूर्य देव को साहस, प्रसिद्धि, राजनीति, नेतृत्व क्षमता, आत्मविश्वास और ऊर्जा प्रदान करने वाला देवता बताया गया है। कहा जाता है कि देव सूर्य की उपासना से व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। इसलिए श्री मंदिर द्वारा राजस्थान के श्री गलता जी सूर्य मंदिर में धनु संक्रांति सूर्य पूर्णिमा विशेष 51,000 सूर्य गायत्री मंत्र जाप और आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ का आयोजन कराया जा रहा है।
सूर्य गायत्री मंत्र, सूर्य देव को समर्पित एक शक्तिशाली मंत्र है। कहा जाता है कि इस मंत्र के जाप के माध्यम से सूर्य देव जैसा तेज उत्पन्न होता है। वहीं आदित्य स्तोत्र पाठ का वर्णन वाल्मीकि रामायण में मिलता है, जहां ऋषि अगस्त्य ने भगवान राम को रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए इसका वर्णन किया था। कहा जाता है कि यदि श्रृद्धापूर्वक इस स्तोत्र का पाठ किया जाए तो व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। मान्यता है कि यदि पूर्णिमा और सूर्य देव को समर्पित रविवार के दिन 51,000 सूर्य गायत्री मंत्र जाप और आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ करने से राजनीति एवं सरकारी नौकरियों में सफलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसलिए आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और सूर्य देव द्वारा राजनीति एवं सरकारी नौकरियों में सफलता का आशीष प्राप्त करें।