शनि देव को न्याय और कर्म के देवता माना जाता है और ऐसा माना जाता है कि वे हमारे अच्छे और बुरे कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। शनि ग्रह जीवन में अनुशासन, मेहनत और ईमानदारी का प्रतीक हैं। यदि किसी की कुंडली में शनि की स्थिति अनुकूल न हो, तो व्यक्ति को देरी, संघर्ष, मानसिक तनाव, आर्थिक परेशानियां और जीवन में अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है। शनि की ऐसी असंतुलित स्थिति के कारण कई बार व्यक्ति अपने प्रयासों के बावजूद सफलता नहीं प्राप्त कर पाता। ऐसे में शनि देव की कृपा प्राप्त करना अत्यंत जरूरी माना जाता है।
शास्त्रों के अनुसार, शनि की उपासना और मंत्र जाप करने से उनके दुष्प्रभाव कम होते हैं और जीवन में स्थिरता, मानसिक शांति और सकारात्मक बदलाव आते हैं। विशेष रूप से 2025 के आखिरी 8 दिनों में की जाने वाली यह पूजा बेहद लाभकारी मानी जाती है। इन अंतिम 8 दिनों के महत्व को ध्यान में रखते हुए, श्री मंदिर के माध्यम से उज्जैन के नवग्रह शनि मंदिर में लगातार 8 दिनों तक 23,000 शनि मूल मंत्रों का जाप और शनि तिल तेल अभिषेक का आयोजन किया जा रहा है। ऐसा माना जाता है कि यह संयोजन शनि दोष को शांत करने, जीवन में देरी और संघर्ष कम करने और आने वाले वर्ष 2026 में सफलता और स्थिरता सुनिश्चित करने में अत्यंत प्रभावी है।
शनि देव के अभिषेक और मंत्र जाप से व्यक्ति के मन और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, मानसिक तनाव कम होता है और जीवन में नई दिशा मिलती है। इस पूजा का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसे लगातार 8 दिनों तक करने से शनि देव की कृपा स्थायी रूप से बनी रहती है और उनके अनुकूल प्रभाव का अनुभव होता है। इस प्रक्रिया से न केवल शनि दोष शांत हो सकता है, बल्कि व्यक्ति जीवन में आर्थिक स्थिरता, मानसिक शांति और सामाजिक सम्मान भी प्राप्त कर सकता है। यह पूजा उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जिनके जीवन में बार-बार देरी, संघर्ष और बाधाओं का सामना होता है।
आप भी इस 8 दिवसीय पूजा में भाग लेकर शनि देव की कृपा पा सकते हैं और अपने जीवन की कठिनाइयों से राहत पा सकते हैं, इसलिए देर न करें और अभी इस पुण्य कार्य में शामिल हों।