🛕 शनि अमावस्या पर शक्ति–समृद्धि पंच महाविद्या महा हवन अनुष्ठान क्यों करें? 🛕
शनि अमावस्या का दिन साल के उन दुर्लभ संयोगों में से है, जब शनिवार का दिन और अमावस्या की रात एक साथ आते हैं। शनिवार शनि देव की उपासना का दिन है, जो कर्म, अनुशासन और न्याय के प्रतीक माने जाते हैं। वहीं, अमावस्या गहरी साधना और आंतरिक ऊर्जा जागरण का समय होती है, जब वातावरण आध्यात्मिक रूप से सबसे अधिक ग्रहणशील होता है। इस दिन की गई पूजा पुराने कर्मों के प्रभाव को हल्का करने, मानसिक स्पष्टता लाने और नकारात्मक ऊर्जाओं को संतुलित करने में सहायक मानी जाती है।
इसी दिन पंच महाविद्या महा हवन का विशेष महत्व है, क्योंकि महाविद्याएँ न केवल आंतरिक शक्ति और ज्ञान देती हैं, बल्कि शत्रुओं से रक्षा और जीवन में स्थिरता–समृद्धि बनाए रखने की भावना भी जगाती हैं। शनि अमावस्या के संयोग पर इनका पूजन, शनि के अनुशासन और महाविद्याओं की करुणा–सुरक्षा को एक साथ साधक के जीवन में लाने का अवसर देता है।
महाविद्याओं की भूमिका शनि अमावस्या पर
माँ बगलामुखी – जो शत्रुओं और नकारात्मक शक्तियों को रोकती हैं, वाणी और विचार में शक्ति देती हैं।
माँ काली – जो बाधाओं और मानसिक अंधकार को नष्ट कर नये अवसरों का मार्ग खोलती हैं।
माँ तारा – जो कठिन परिस्थितियों में मार्गदर्शन और स्पष्टता प्रदान करती हैं।
माँ षोडशी – जो संतुलन, आकर्षण और मानसिक शांति बनाए रखती हैं।
माँ भुवनेश्वरी – जो विकास, समृद्धि और स्थिरता की ऊर्जा प्रदान करती हैं।
शनि अमावस्या पर इन पाँचों महाविद्याओं की संयुक्त साधना से एक ओर शत्रुओं से सुरक्षा की भावना जुड़ती है, तो दूसरी ओर मन, बुद्धि और जीवन में स्थिरता व समृद्धि बनाए रखने का संबल भी मिलता है।
श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष अनुष्ठान में सम्मिलित होकर साधक पंच महाविद्याओं के आशीर्वाद और शनि देव की कृपा का संगम अनुभव कर सकता है एक ऐसा मेल जो शक्ति, सुरक्षा और समृद्धि की दिशा में मार्गदर्शन देता है। 🙏