🌸 इस कालाष्टमी मां ललिता के 1 हजार नामों का पाठ और त्रिपुर सुंदरी हवन की शक्ति को महसूस करें!
हिंदू कैंलेडर में सावन समापन के बाद भाद्रपद महीने की शुरुआत होती है। भाद्रपद महीना त्योहारों से भरपूर रहता है, जिसमें जन्माष्टमी, अनंत चतुर्दशी जैसे त्योहार भक्तों के बीच धूमधाम से मनाए जाते हैं। त्योहारों के इस महीने में आराधना और अनुष्ठान भी भव्य हो जाते हैं, जिसके फल से भक्तों को जीवन में नए-नए अवसर मिलते हैं और उन्नति की दिशा मजबूत होती है। इसी क्रम में कालाष्टमी पर मां त्रिपुर सुंदरी की आराधना का सुनहरा अवसर है।
माँ त्रिपुर सुंदरी - जिन्हें ललिता, राजराजेश्वरी, कामाक्षी और षोडशी के नाम से भी जाना जाता है - दस महाविद्याओं में से एक हैं और देवी के सोलह वर्षीय युवा रूप के रूप में पूजनीय हैं। वे तीनों लोकों में सर्वोच्च सौंदर्य, कृपा और प्रभुता का संचार करती हैं। माँ त्रिपुर सुंदरी धन, समृद्धि और जीवन की इच्छाओं की पूर्ति प्रदान करने के लिए जानी जाती हैं।
परंपरा के अनुसार, शुक्रवार के दिन उनकी पूजा करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है - भक्तों का मानना है कि इस दिन की गई सच्ची प्रार्थना देवी जी का शीघ्र आशीर्वाद दिला सकती है। ललिता सहस्रनाम - देवी के 1 हजार नाम - आध्यात्मिक रूप से शक्तिशाली माने जाते हैं, जिसे कार्तिकेय ने स्वयं भगवान शिव से प्राप्त किया था। कलियुग में, इस स्तोत्र का जाप करने से देवी सबसे अधिक प्रसन्न होती हैं, जिससे आध्यात्मिक सिद्धियाँ और मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। अनेक ऋषियों ने भक्तिपूर्वक मां ललिता के 1 हजार नामों का जाप कर उनकी दिव्य कृपा से सिद्धियाँ प्राप्त की हैं।
कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानी कालाष्टमी, देवी उपासकों के बीच विशेष महत्व रखती है। जब यह शुक्रवार को पड़ती है तो यह अनुष्ठानों और भक्ति साधनाओं के लिए विशेष रूप से और शक्तिशाली हो जाती है। यह संयोग शक्ति की शुभ ऊर्जाओं को बढ़ाता है और ललिता सहस्रनाम पाठ और त्रिपुर सुंदरी हवन जैसे अनुष्ठानों के लिए आदर्श है।
श्री मंदिर द्वारा इस कालाष्टमी को शक्तिपीठ ललिता माता मंदिर में माँ त्रिपुर सुंदरी की दिव्य कृपा प्राप्त करने के लिए इस पवित्र पूजा में भाग लें और जीवन में मनोकामनापूर्ति का आशीर्वाद पाएं।