🔱 निर्णय में भ्रम और बार-बार बिगड़ते काम? अमावस्या की रात करें अपनी इन सभी समस्याओं का समाधान🌑
कई बार ऐसा होता है कि हम किसी कार्य को शुरु तो करते हैं, लेकिन वह बीच में ही रुक जाता है। कुछ लोग बार-बार प्रयास करने के बावजूद भी मनचाही सफलता नहीं पाते। कभी निर्णय लेने में असमर्थता, कभी आत्मविश्वास की कमी तो कभी ऐसी परिस्थितियाँ, जहाँ सब कुछ तय होकर भी लास्ट मिनट में काम बिगड़ जाता है। यह सब केवल भाग्य का दोष नहीं होता। यह संकेत होता है समय और कर्म की उलझन का, खासकर जब कोई व्यक्ति लंबे समय से टालमटोल, देरी या स्थायी असमंजस में फंसा हो, तो यह काल और दिशा की रुकावट मानी जाती है। इन सभी समस्याओं से मुक्त होने के लिए अमावस्या की रात काल भैरव की उपासना अत्यंत प्रभावी मानी गई है।
हमारे सनातन धर्म में अमावस्या को ब्रह्मांडीय शून्यता का काल माना जाता है। जब पुरानी ऊर्जा समाप्त होती है और नई ऊर्जा के लिए स्थान बनता है। यह रात्रि एक आध्यात्मिक शून्य-बिंदु होती है, जहाँ साधना और संकल्प विशेष फलदायी होते हैं। अमावस्या की रात काल भैरव की पूजा करने का विशेष महत्व है, क्योंकि वे "काल" यानी समय के स्वामी हैं। भैरव न केवल रक्षण के देवता हैं, बल्कि वे समय, गति और निर्णय के भी अधिपति हैं। मान्यता है कि वे कर्म के बंधनों को काटते हैं, विलंब को भस्म करते हैं और भय, भ्रम एवं मानसिक रुकावट को दूर करते हैं। कहते हैं कि जब अमावस्या की रात उनका पूरी आस्था और विश्वास के साथ स्मरण किया जाता है, तो वे हमारे जीवन में चल रही समय की उलझनों और अंदरूनी रुकावटों को समाप्त कर देते हैं।
उनकी इसी कृपा को आमंत्रित करने के लिए श्री मंदिर के माध्यम से महादेव की नगरी काशी के श्री बटुक भैरव मंदिर में ‘समय बंधन विमोचन काल भैरव विशेष अनुष्ठान’ का आयोजन किया जा रहा है। इस अनुष्ठान में काल भैरव अष्टक पाठ, भैरव कवच संकल्प, क्लेश शांति मंत्र जाप, निश्चल संकल्प दीपदान और विशेष तैल अभिषेक शामिल होंगे। यह संपूर्ण पूजन निशित काल में किया जाएगा, जो रात्रि का वह गूढ़ समय होता है जब ऊर्जा अत्यंत संवेदनशील और ग्रहणशील होती है। इस काल में की गई साधना, विशेष रूप से काल भैरव की, साधक के अवचेतन मन में छिपे हुए कर्म बंधनों और भय की ग्रंथियों को खोल देती है।
🙏आप श्री मंदिर के माध्यम से इस दिव्य अनुष्ठान की उर्जा से जुड़ें और काल भैरव की कृपा से समय को अपना सहयोगी बनाएं।