🪈 जन्माष्टमी पर महा अभिषेक और गौ सेवा का अवसर में भाग लेने का सुनहरा अवसर
हिंदू कैंलेडर में सावन समापन के बाद भाद्रपद महीने की शुरुआत होती है। भाद्रपद महीना त्योहारों से भरपूर रहता है, जिसमें जन्माष्टमी, अनंत चतुर्दशी जैसे त्योहार भक्तों के बीच धूमधाम से मनाए जाते हैं। त्योहारों के इस महीने में आराधना और अनुष्ठान भी भव्य हो जाते हैं, जिसके फल से भक्तों को जीवन में नए-नए अवसर मिलते हैं। इस जन्माष्टमी कृष्ण जी का महा अभिषेक और गौ सेवा का आयोजन हो रहा है, जिसमें भाग लेकर आप कान्हा का अपने परिवार में स्वागत और उनकी मित्र मंडली की गायों की घर बैठे सेवा कर सकते हैं।
🪈 कृष्ण जन्माष्टमी की दिव्य कथा:
भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था, जहां उनके मामा कंस ने उनके पिता वासुदेव और माता देवकी को बंदी बना रखा था। कंस ने भविष्यवाणी से पता चलने पर कि देवकी के आठवें पुत्र द्वारा उसकी मृत्यु होगी, उसने देवकी और वासुदेव को कारागार में डाल दिया। जब कृष्ण जी का जन्म हुआ तो वासुदेव ने उन्हें गोकुल में नंद और यशोदा के घर पहुंचा दिया, जहां उनका पालन-पोषण हुआ। कान्हा का आशीष पाने के लिए कृष्ण जन्माष्टमी महा अभिषेक एक अत्यंत पवित्र और दिव्य आयोजन है, जो उनके जन्म के अवसर पर हो रहा है। इस आराधना में श्री कृष्ण का अभिषेक किया जाता है, जिसमें पंचामृत, शहद, घी, दूध, दही जैसे द्रव्यों से अभिषेक किया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी पर किए गए इस महा अभिषेक से जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति की दिशा मिलती है। यह आराधना कान्हा से कुछ मांगने से कहीं ज्यादा उनके जन्म का जश्न है।
🪈 श्री कृष्ण की ‘सखी’ गायों की सेवा:
जन्माष्टमी पर गौ सेवा एक बेहद महत्वपूर्ण और पवित्र कार्य माना गया है। भगवान श्री कृष्ण का गहरा संबंध गायों से रहा है, क्योंकि वे गोवर्धन पर्वत उठाने के साथ-साथ गायों के प्रति अपनी विशेष श्रद्धा रखते थे। इस दिन, भक्त गायों को हरी घास, गुड़, चारा और जल अर्पित करते हैं, ताकि वे भी भगवान की कृपा प्राप्त कर सकें। गौ सेवा से न केवल पुण्य की प्राप्ति है, बल्कि यह कार्य जीवन में आशीर्वाद, समृद्धि और मानसिक शांति का एहसास देता है। माना जाता है कि जन्माष्टमी पर गौ सेवा, भक्तों को आत्मिक सुख तो देती ही है, जीवन के बाद दूसरे लोक जाने का मार्ग भी सरल बना देती है। मान्यता है कि महा अभिषेक के साथ जब ये गौ सेवा जुड़ती है तो इसका फल कई पूजाओं के बराबर हो जाता है। गाज़ियाबाद के इस्कॉन मंदिर में होने जा रहे इस अनुष्ठान में भाग लेने का अवसर हाथ से न जाने दें।
श्री मंदिर द्वारा आयोजित होने जा रहे इस अनुष्ठान में भाग लें और कान्हा के जन्मोत्सव पर अपने घर को मथुरामय और मन को कृष्णमय बनाने की ओर बढ़ें।