🕉️ वैदिक परंपरा में अमावस्या को कर्मों की शुद्धि और पितरों के दोषों से मुक्ति के लिए सबसे शक्तिशाली रात माना गया है। ऐसा माना जाता है कि इस रात पिछले कर्म और वर्तमान जीवन के बीच का पर्दा बहुत पतला हो जाता है। इसलिए यह समय पुराने मानसिक बोझ, रुके हुए काम और बार-बार आने वाली परेशानियों को पीछे छोड़कर नए साल में कदम रखने के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इसी कारण साल की आखिरी अमावस्या कालसर्प दोष से राहत पाने के लिए अत्यंत प्रभावी मानी जाती है।
🕉️ जो लोग कालसर्प दोष से प्रभावित होते हैं, वे अक्सर समान अनुभव बताते हैं—काम आखिरी समय पर रुक जाना, बिना कारण तनाव बढ़ना, नींद का अव्यवस्थित होना, या मन में अनचाहा भारीपन महसूस होना। ज्योतिष के अनुसार जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाएँ, तब कालसर्प दोष बनता है। यह योग जीवन में डर, अस्थिरता, लगातार असफलता और मानसिक बेचैनी ला सकता है। चूँकि राहु-केतु भगवान शिव के भक्त माने गए हैं, इसलिए शिव की उपासना इनके प्रभाव को शांत करने में सबसे अधिक मानी जाती है। इसी हेतु श्री त्र्यंबकेश्वर क्षेत्र में कालसर्प दोष निवारण पूजा आयोजित की जा रही है।
🕉️ श्री त्र्यंबकेश्वर क्षेत्र कालसर्प शांति के लिए विशेष माना जाता है क्योंकि पुराणों के अनुसार यह स्थान ग्रहों के प्रभाव को संतुलित करने की शक्ति रखता है। यहीं से पवित्र गोदावरी नदी का उद्गम होता है और यहाँ का ज्योतिर्लिंग स्वयं भगवान शिव के तीन स्वरूप—सृष्टि, पालन और संहार—का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए यहाँ की पूजा मानसिक शांति, भावनात्मक संतुलन और जीवन में प्रगति के लिए अत्यंत फलदायी मानी जाती है।
🕉️ इस पूजा में पंडित जी गोदावरी घाट पर पवित्र द्रव्यों से अभिषेक करते हैं, कालसर्प शांति मंत्रों का जप करते हैं, और हर श्रद्धालु का नाम-गोत्र लेकर संकल्प करते हैं। माना जाता है कि यह अनुष्ठान कालसर्प दोष से उत्पन्न अशांति को धीरे-धीरे कम करता है और जीवन की रुकावटों को दूर करने में सहायक होता है।
🙏 श्री मंदिर के माध्यम से इस पवित्र पूजा से जुड़ें और भगवान शिव की कृपा से कालसर्प दोष से राहत, शांति और जीवन में सौहार्द की प्राप्ति का संकल्प लें।