✨ 23 हजार शनि मूल मंत्र के साथ 1008 संकट मोचन हनुमान अष्टक पाठ की शक्ति महसूस करें
शनिवार को शनिदेव और हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि शनिदेव की कृपा पाने के लिए हनुमान जी की आराधना करना बेहद फलदायी होता है। शनिवार के दिन 23 हजार शनि मूल मंत्र, 1008 हनुमान अष्टक पाठ विशेष लाभकारी माने गए हैं। हनुमान जी की आराधना से राहु और शनि दोष शांत हो सकते हैं और जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं। नवग्रह शनि मंदिर में होने जा रहा यह अनुष्ठान मानसिक शांति, धन-समृद्धि और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करने में सहायक माना गया है।
🌺 23 हजार शनि मूल मंत्रों का जाप शनि दोष से राहत पाने और शनि ग्रह के नकारात्मक प्रभावों को शांत करने के लिए बेहद प्रभावशाली माना गया है। विद्वानों द्वारा इसका विधिवत जाप मानसिक शांति, नौकरी, व्यापार, और जीवन की परेशानियों को हल करने में मददगार माना गया है। 23 हजार मंत्रों का जाप करने से शनि के प्रतिकूल प्रभावों को दूर किया जा सकता है, और व्यक्ति को जीवन में सफलता, समृद्धि और संतुलन की दिशा मिल सकती है। यह एक शक्तिशाली अनुष्ठान है, जो शनि की कृपा पाने का मजबूत मार्ग प्रशस्त करता है।
📿इसी के साथ 1008 हनुमान अष्टक पाठ का वीर बजरंगी की आराधना का अहम अंग है, क्योंकि यह मनुष्य को मानसिक शांति, बल, साहस और समृद्धि दे सकता है। यह आठ श्लोकों का संग्रह है, जिसे इस अनुष्ठान में शामिल करने से सभी मुश्किलें दूर हो सकती हैं और भक्तों को हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। हनुमान अष्टक का पाठ खासतौर पर संकट, भय और मानसिक तनाव से उबारने के लिए किया जाता है। इसके द्वारा हनुमान जी की शक्ति का अनुभव होता है और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आने शुरू हो जाते हैं। यह पाठ शारीरिक, मानसिक और आत्मिक रूप से व्यक्ति को सशक्त बना सकता है।
🍃 दो शक्तिशाली देवों की यह संयुक्त आराधना इसलिए भी अहम है, क्योंकि हनुमान जी ने शनिदेव को रावण के बंदीगृह से मुक्त कराया था। जब रावण ने शनिदेव को बंदी बना लिया था, तब हनुमान जी ने अपनी शक्ति और तेज से रावण के किले को ध्वस्त किया और शनिदेव को मुक्त किया। माना जाता है कि तभी से शनिदेव की हनुमान जी के भक्तों पर विशेष कृपा रहती है। नवग्रह शनि मंदिर में होन जा रही यह अराधना राहु, शनि दोष निवारण की दिशा में एक दुर्लभ अवसर है, जिसे हाथ से न जाने दें।
आप भी इस विशेष पूजा में श्री मंदिर के माध्यम से भाग लेकर हनुमान जी और शनिदेव का संयुक्त आशीर्वाद प्राप्त करें।