कई बार जीवन बार-बार आने वाली परेशानियों में फँस जाता है। जितनी कोशिश करें, हर बार काम अटक जाता है—देरी, असफलता, अचानक नुकसान या लगातार बदकिस्मती व्यक्ति को अंदर से कमजोर कर देती है। लंबे समय बाद पता चलता है कि इसका कारण सर्प (नाग) दोष या पितृ दोष भी हो सकता है, जो परिवार के पूरे भाग्य को प्रभावित करता है। यदि आप भी ऐसी अदृश्य रुकावटों का सामना कर रहे हैं, तो यह उन्हें दूर करने का सबसे महत्वपूर्ण समय है।
🔱 आखिरी कृतिका नक्षत्र – अश्लेषा बलि विशेष
आखिरी कृत्तिका नक्षत्र पर अश्लेषा बलि पूजा और सर्प दोष शांति हवन गोकर्ण (दक्षिण काशी) में आयोजित किया जा रहा है, जो सर्प शांति के लिए सबसे शक्तिशाली सिद्ध क्षेत्र माना जाता है। यह नक्षत्र अग्नि देव से जुड़ा है, जो गहरे कर्मिक दोषों और नकारात्मक ऊर्जा को जलाने का प्रतीक है। इस अवधि में किए गए कर्म और पितृ-शांति के उपाय अत्यंत प्रभावी माने जाते हैं।
✨ अश्लेषा बलि पूजा का महत्व
अश्लेषा बलि एक शक्तिशाली वैदिक अनुष्ठान है, जो सर्प दोष, पितृ दोष और गहरी नकारात्मक ऊर्जा को शांत करने के लिए किया जाता है। इसमें पितृ-तर्पण, नाग देवता की पूजा और कर्म शुद्धि के विशेष विधि-विधान शामिल होते हैं। मान्यता है कि यह पूजा बार-बार आने वाली रुकावटें, संतान से जुड़े समस्या, मानसिक अस्थिरता, वैवाहिक तनाव और पिछले जन्मों के कर्मों के कारण होने वाले दुखों को दूर करती है।
इस साल यह पूजा लास्ट कृत्तिका नक्षत्र की शक्तिशाली अवधि में हो रही है, जिससे इसके फल और भी बढ़ जाते हैं। गोकर्ण में किए गए नागबली-सर्प दोष शांति अनुष्ठान अत्यंत प्रभावशाली माने जाते हैं।
🙏 कर्मिक बाधाओं से राहत का दुर्लभ अवसर
श्री मंदिर द्वारा गोकर्ण (दक्षिण काशी) में आयोजित लास्ट कृत्तिका नक्षत्र – अश्लेषा बलि पूजा और सर्प दोष शांति हवन में सहभागी बनें और कर्मजनित कष्टों तथा छिपे हुए दोषों से मुक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करें।