🌞 क्या आपका जन्म 1, 10, 19 या 28 को हुआ है?, तो यह विशेष अनुष्ठान आपके जीवन में एक निर्णायक मोड़ बन सकता है।
अगर आपका जन्म 1, 10, 19 या 28 तारीख को हुआ है, तो आपका मूलांक 1 है, और आप सूर्यदेव की तेजस्वी ऊर्जा के प्रभाव में जन्मे हैं। सूर्यदेव जोकि नेतृत्व, आत्मबल और स्पष्टता के प्रतीक हैं। उनके प्रभाव से व्यक्ति में आगे बढ़ने, ज़िम्मेदारी निभाने और मार्गदर्शन देने की स्वाभाविक क्षमता विकसित होती है। ऐसे लोग अक्सर बिना कहे ज़िम्मेदारियां निभाते हैं और दूसरों के लिए सहारा बनते हैं। लेकिन यही तेज कभी-कभी थकावट, मानसिक दबाव और भावनात्मक अकेलेपन का कारण भी बन जाता है। बाहर से सब कुछ सामान्य और सक्षम दिखता है, पर भीतर एक अव्यक्त तनाव और बेचैनी बनी रहती है। हर समय अपने कर्तव्यों को निभाते-निभाते व्यक्ति अपने भीतर की शांति से दूर हो जाता है। ऐसे समय में भगवान शिव, उनके रुद्र स्वरूप में, उस तेज को सहन और संतुलित करने वाले देव बनते हैं। वे ऊर्जा को दबाते नहीं, बल्कि उसे स्थिरता, संयम और दिशा में परिवर्तित करते हैं।
इसी कारण इस विशेष पूजा में सूर्यदेव से प्रेरणा और रौशनी तथा भगवान रुद्र से धैर्य और संतुलन का आह्वान किया जाता है, ताकि मूलांक 1 की भीतर जमी थकान को शांत किया जा सके। ‘सूर्य–रुद्र तेजस संकल्प अनुष्ठान’ उन लोगों के लिए है जो लगातार कुछ साबित करते हुए थक चुके हैं, लेकिन फिर भी रुकना नहीं जानते। यह अनुष्ठान आपके भीतर की थकी हुई ऊर्जा को फिर से सक्रिय करता है, पर इस बार जलाए बिना, शांति और उद्देश्य के साथ। इसमें आपका अपना संकल्प पूजा का केंद्र बनता है, जिससे पूजा केवल कर्मकांड नहीं, बल्कि आपके मन की सच्ची आवश्यकता बन जाती है। सूर्यदेव को अर्घ्य, भगवान रुद्र को जलाभिषेक और वैदिक मंत्रों के माध्यम से यह अनुष्ठान कार्यस्थल की कठिनाइयों, आत्मविश्वास की गिरावट और रिश्तों की उलझनों को धीरे-धीरे शांत करने में सहायता करता है।
यदि आप लंबे समय से बिना रुके आगे बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन भीतर से थक चुके हैं, तो यह पूजा आपके लिए एक ऐसा विराम है जहाँ आप खुद से फिर जुड़ सकते हैं। श्री मंदिर के माध्यम से इस दिव्य अनुष्ठान में भाग लेकर आप अपनी ऊर्जा को फिर से जाग्रत कर सकते हैं और अपने जीवन के नेतृत्व में स्थिरता, स्पष्टता और आंतरिक शक्ति को पुनः स्थापित कर सकते हैं।