सनातन धर्म में कार्तिक मास का विशेष महत्व होता है, वहीं इस माह में आने वाले त्योहार भी अत्यंत प्रभावशाली होते हैं। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में पंचमी तिथि को लाभ पंचमी मनाई जाती है, यह दिवाली का आखिरी दिन होता है। लाभ पंचम को ‘लाखनी पंचमी’, ‘ज्ञान पंचमी’ और ‘सौभाग्य पंचमी’ भी कहा जाता है। सुख समृद्धि की दृष्टि से इस पर्व का बहुत बड़ा महत्व होता है। लाभ का अर्थ होता है ‘सौभाग्य’, वहीं पंचम का अर्थ होता है ‘पांचवां’। यह पर्व मुख्य रूप से गुजरात एवं महाराष्ट्र में मनाया जाता है। इस दिन अधिकांश दुकान मालिक एवं व्यवसायी दीवाली उत्सव के अंतिम दिन यानि लाभ पंचम पर अपनी व्यावसायिक गतिविधियाँ पुनः आरम्भ करते हैं, इसीलिए लाभ पंचम को गुजराती नववर्ष का प्रथम कार्य दिवस माना जाता है। इसलिए व्यवसायी पुराने बही-खाते हटाकर नए खाते शुरू करते हैं। इस लेखा पुस्तक के एक तरफ ‘शुभ’ और दूसरी तरफ ‘लाभ’ लिखते हैं तथा प्रथम पृष्ठ के केन्द्र में एक स्वस्तिक बनाकर नये खाता-बही का उद्घाटन करते हैं, जिसे गुजराती में खातू के नाम से जाना जाता है। दरअसल, शुभ एवं लाभ भगवान गणेश के दो पुत्र हैं। शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि रिद्धि व सिद्धि जो प्रजापति विश्वकर्मा की पुत्रियां है, उनका विवाह गणेश जी से हुआ था। सिद्धि से शुभ नामक पुत्र का जन्म हुआ और वहीं रिद्धि से 'लाभ' का जन्म हुआ। इन्हें ही शुभ-लाभ के नाम से जाना जाता है। वहीं दूसरी तरफ स्वास्तिक को भगवान गणेश का ही रूप माना गया है। यही कारण है कि शुभ-लाभ के साथ स्वास्तिक के चिन्ह भी बनाए जाते हैं।
हिंदू धर्म में यह भी माना जाता है कि शुभ-लाभ के चिन्हों को घर या कार्यालय में लगाने से सुख-समृद्धि और धन का वास बना रहता है। कहते हैं कि किसी कारणवश अगर कोई इंसान दिवाली के दिन पूजा न कर पाया हो तो ये दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है कि लाभ पंचमी के दिन पूजा करने से व्यवसाय, करियर परिवार में लाभ, सौभाग्य तथा उन्नति मिलती है। लाभ पंचमी के दिन भगवान गणेश के साथ माता लक्ष्मी की पूजा की करने का विधान है। वहीं मान्यता है कि इस शुभ अवसर पर माता लक्ष्मी की पूजा महाराष्ट्र में स्थित शक्तिपीठ में कि जाए तो यह अत्यंत प्रभावशाली हो सकती है। शक्तिपीठ महालक्ष्मी अंबाबाई मंदिर 51 पवित्र शक्तिपीठों में से एक है, जहाँ सूर्य देव भी साल में तीन बार माँ महालक्ष्मी को प्रणाम करते हैं। इसलिए इस पवित्र स्थल पर लाभ पंचमी शक्तिपीठ कोल्हापुर अंबाबाई विशेष महालक्ष्मी पूजा का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और लाभ पंचमी के शुभ दिन पर माता लक्ष्मी से व्यापार और करियर में वृद्धि का आशीष पाएं।