वैकुंठ एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित एक पावन तिथि मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन किए गए जप तप और पितृ संबंधी कर्म विशेष फलदायी होते हैं। यह वर्ष की आखिरी एकादशी होती है, इसलिए इसे पितृ उद्धार और आत्मिक शुद्धि से जोड़कर देखा जाता है। परंपराओं के अनुसार, इस दिन विष्णु उपासना के साथ पितृ कर्म करने से व्यक्ति अपने पितरों के प्रति कर्तव्य का स्मरण करता है और आत्मिक शांति की अनुभूति करता है। इसी पवित्र अवसर पर दक्षिण काशी कहे जाने वाले गोकर्ण तीर्थ में नारायण बलि पूजा और त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष शांति महापूजा का आयोजन किया जा रहा है।
गोकर्ण तीर्थ कर्नाटक में स्थित एक प्राचीन और श्रद्धा से जुड़ा हुआ पावन स्थल माना जाता है। इसे दक्षिण की काशी कहा जाता है। मान्यता है कि यहां किए गए पितृ अर्पण विशेष महत्व रखते हैं। ऐसा कहा जाता है कि गोकर्ण में संपन्न पितृ कर्म पूर्वजों की आत्मा को संतोष प्रदान करने का माध्यम बनते हैं। जिन लोगों के जीवन में बार बार रुकावटें अनुभव होती हैं, जैसे कार्यक्षेत्र में अस्थिरता, पारिवारिक तनाव, संतान से जुड़ी चिंताएं, स्वास्थ्य संबंधी कठिनाइयां या आर्थिक असंतुलन, वे इन स्थितियों को पितृ दोष से जोड़कर देखते हैं। ऐसे में यह अनुष्ठान आत्मिक संतुलन और मानसिक शांति की भावना को मजबूत करने का एक माध्यम माना जाता है।
गोकर्ण तीर्थ में नारायण बलि पूजा और त्रिपिंडी श्राद्ध का विशेष स्थान है। नारायण बलि पूजा उन पितरों की स्मृति में की जाती है, जिनकी मृत्यु असामान्य परिस्थितियों में हुई हो या जिनके जीवन से जुड़ी कुछ इच्छाएं अधूरी रह गई हों। परंपराओं के अनुसार, यह पूजा आत्मा की शांति और सद्गति की भावना से जुड़ी होती है। त्रिपिंडी श्राद्ध उन पितरों के लिए किया जाता है जिनका श्राद्ध विधिवत रूप से नहीं हो पाया हो या जो लंबे समय तक उपेक्षित रह गया हो। ऐसी मान्यता है कि इस अनुष्ठान के माध्यम से तीन पीढ़ियों तक के पितरों का स्मरण और तर्पण किया जाता है। पितृ दोष शांति पूजा पितृ शाप के प्रभाव को शांत करने की भावना से की जाती है, ताकि जीवन में आ रही कठिन परिस्थितियों को समझने और उनसे उबरने का मानसिक बल मिल सके।
साल की आखिरी वैकुंठ एकादशी पर गोकर्ण तीर्थ में इन पवित्र अनुष्ठानों का संपन्न होना पितरों की स्मृति, पितृ ऋण के भाव और पारिवारिक संस्कारों से जुड़ने का एक विशेष अवसर माना जाता है। यह समय अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने और आत्मिक शांति की दिशा में कदम बढ़ाने का माना जाता है। श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष अनुष्ठान में सहभागी बनकर आप भी आध्यात्मिक भाव, संतुलन और सकारात्मक दृष्टि के साथ अपने जीवन पथ को समझने का प्रयास कर सकते हैं।