सावन का आखिरी बुधवार: महादेव और उनके पुत्र भगवान गणपति से पाएं परिवार में सुख-समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद 🌿🙏
सावन का महीना हिंदू धर्म में सबसे पवित्र और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण माना गया है। यह समय शिवजी की भक्ति, तप और साधना का प्रतीक होता है। सावन के सोमवार जहां शिव जी को समर्पित हैं तो बुधवार, भगवान गणपित की आराधना का सबसे शुभ दिन माना गया है। जब यही सावन महीने का आखिरी बुधवार हो तो दोनों देवों की आराधना के फल से जीवन में नकारात्मकता, अदृश्य बाधाओं से राहत मिल सकती है। शास्त्रों के अनुसार, महादेव संहारक-विनाशक और करुणामयी हैं तो गणपति प्रथम पूज्य, विघ्नहर्ता और सुखकर्ता हैं। सावन के आखिरी बुधवार को होने जा रहा यह संयुक्त अनुष्ठान साल का सबसे दुर्लभ अवसर है।
सावन के आखिरी बुधवार को उज्जैन के चिंतामण गणेश मंदिर में 21 गणपति अथर्वशीर्ष पाठ का आयोजन होगा और नासिक के त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में भव्य रुद्राभिषेक किया जाएगा। गणपति अथर्वशीर्ष एक महत्वपूर्ण पाठ है, जो भगवान गणेश की स्तुति और महिमा को दर्शाता है। मान्यता है कि यह पाठ अथर्ववेद का एक भाग है और इसमें भगवान गणेश की शक्ति का वर्णन है। वहीं, रुद्राभिषेक, महादेव की आराधना से जुड़ी विधियों में सबसे ख़ास माना गया है, जिसमें जल, दूध, दही, घी, शहद आदि द्रव्यों से शिव जी का अभिषेक किया जाता है।
🕉️ पवित्र ज्योतिर्लिंग पर एक पवित्र अनुष्ठान
शिव जी के प्रिय सावन महीने में महाराष्ट्र के नासिक में पवित्र त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग पर रुद्राभिषेक होगा। यह स्थान 12 पूजनीय ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसका धार्मिक महत्व बहुत ज्यादा है। ऐसा माना जाता है कि ये वह स्थान है, जहां से गोदावरी नदी शुरू होती है, जो इसे अपने आप में बेहद ख़ास बना देता है। त्र्यंबकेश्वर धाम इसलिए भी अनोखा है, क्योंकि इसमें त्रिमूर्ति- ब्रह्मा, विष्णु और शिव एक पवित्र लिंग के रूप में विराजमान हैं, जो इसे दिव्य एकता का एक दुर्लभ और शक्तिशाली स्थान बना देता है।
🕉️ चिंतामण गणेश मंदिर में 21 गणपति अथर्वशीर्ष पाठ
भगवान गणपति के आशीर्वाद का आह्वान करने के लिए उज्जैन के चिंतामण मंदिर में भव्य अथर्वशीर्ष पाठ का आयोजन होने जा रहा है, जो सावन का आखिरी अवसर है। इस मंदिर की महिमा इस आयोजन को और ख़ास बना देती है। भक्त इस मंदिर में दर्शन कर उल्टा स्वास्तिक बनाकर भगवान गणश से अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं। जब भक्तों की इच्छा पूरी हो जाती है तो वे वापस आकर सीधा स्वास्तिक बनाकर बप्पा को धन्यवाद देते हैं। सावन महीने के आखिरी बुधवार को अथर्वशीर्ष पाठ में भाग लेकर आप अपने जीवन में आ रही रुकावटों, अदृश्य बाधाओं से राहत और सुख-शांति और स्थिरता की दिशा तय कर सकते हैं।
श्री मंदिर द्वारा दो दिव्य धामों में आयोजित होने जा रहे अनुष्ठानों में भाग लें और परिवार में सुख-शांति, स्थिरता और समृद्धि का आशीष पाएं।