ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि और राहु के नकारात्मक प्रभाव हमारे जीवन में कई बार मानसिक, शारीरिक और सामाजिक स्तर पर बाधाएँ उत्पन्न कर सकते हैं। ऐसे समय में साधक अपने प्रयासों के बावजूद लगातार विफलताओं का सामना कर सकते हैं। कालिका माता सर्व-कष्ट निवारण महापूजा और 108 काली सहस्रनाम पाठ एवं गुग्गुल हवन इस स्थिति में विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। यह पूजा शतभिषा नक्षत्र और शनिवार के दिन आयोजित होती है, जो शनि और राहु के कर्म संबंधी प्रभावों को संतुलित करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है।
इस अनुष्ठान में माता काली के विशेष मंत्रोच्चारण, सहस्रनाम पाठ और गुग्गुल हवन के माध्यम से नकारात्मक ऊर्जा को कम करने और मानसिक स्थिरता प्राप्त करने की प्रक्रिया शामिल है। पूजा के दौरान साधक ध्यान और मंत्र जाप के माध्यम से अपनी आंतरिक शक्ति और संतुलन को मजबूत कर सकते हैं। कहा जाता है कि माता काली की कृपा से जीवन में स्थायित्व, धैर्य और निर्णय क्षमता बढ़ती है।
दिल्ली के श्री कालकाजी मन्दिर में आयोजित महापूजा में भाग लेने से न केवल बाहरी जीवन में बाधाओं का सामना करने में सहूलियत मिलती है, बल्कि आंतरिक मानसिक स्थिति भी संतुलित रहती है। गहरे और जटिल समस्याओं से निपटने के लिए यह अनुष्ठान एक समर्पित साधना का माध्यम है। शतभिषा नक्षत्र के समय इस पूजा का विशेष महत्व माना जाता है क्योंकि यह समय शनि और राहु की ऊर्जा के साथ जुड़ा हुआ है।
पूजा में भाग लेने वाले साधक अपने ध्यान और श्रद्धा के माध्यम से माता काली से दिव्य आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। हवन और पाठ के माध्यम से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह अनुष्ठान केवल कर्म और मानसिक बाधाओं के निवारण तक सीमित नहीं है, बल्कि साधक को आत्मबल, साहस और जीवन में स्थिरता प्राप्त करने में मदद करता है।