क्या शनि जयंती मुश्किलों से छुटकारा पाने का सही समय है? 🌑
शनि जयंती एक अत्यंत शुभ और आध्यात्मिक दिन है, जिसे भगवान शनि के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। ज्येष्ठ अमावस्या को जन्मे भगवान शनि को न्याय और कर्म का देवता कहा गया है। शास्त्रों में वर्णित है कि वे सूर्य देव और छाया की संतान हैं, जिनकी दृष्टि में सभी जीव समान हैं। इस दिन श्रद्धालु विशेष पूजा, व्रत और अनुष्ठानों द्वारा भगवान शनि की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा न केवल वर्तमान जीवन की बाधाएं दूर करती है, बल्कि पुराने कर्मों के प्रभाव को भी शांत करती है। जो व्यक्ति साढ़े साती, ढैय्या या महादशा के प्रभाव से जूझ रहे हैं, उनके लिए यह दिन विशेष रूप से फलदायी होता है। शनि देव की कृपा से जीवन में स्थिरता, सफलता और मानसिक शांति आती है। यही कारण है कि इस वर्ष भी शनि जयंती के अवसर पर मथुरा के कोसीकलां स्थित श्री शनि देव मंदिर में शनि शांति महापूजा एवं यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। भक्तजन यहां जुड़कर अपने जीवन की समस्याओं के समाधान और शनि कृपा से नए मार्ग की ओर अग्रसर होने का अवसर प्राप्त कर सकते हैं।
क्या साढ़े साती और महादशा से जीवन में लगातार अड़चनें आ रही हैं? 🔱
शनि का मीन राशि में प्रवेश कई राशियों के लिए कर्मिक बदलाव लेकर आया है। कार्यस्थल की परेशानियाँ, पारिवारिक तनाव, मानसिक असंतुलन और स्वास्थ्य से जुड़ी बाधाएं, ये सभी शनि के अशुभ प्रभाव का संकेत हो सकते हैं। ऐसे समय में शनि जयंती पर श्रद्धा से की गई पूजा इन प्रभावों को कम कर सकती है।
कोसीकलां का श्री शनि देव मंदिर अपने शक्तिशाली ऊर्जा क्षेत्र के लिए प्रसिद्ध है। यहां की गई पूजा, विशेष अनुष्ठान और मंत्र जाप से भक्तों को तीव्र लाभ मिलता है। यदि आप लंबे समय से जीवन में रुकावटें, मानसिक अशांति और असफलता का अनुभव कर रहे हैं, तो इस शनि जयंती पर यहां आयोजित विशेष अनुष्ठान में भाग लेना आपके लिए परिवर्तनकारी सिद्ध हो सकता है।
इस पावन अवसर पर श्री मंदिर के माध्यम से जुड़ें और शनि कृपा से अपने जीवन को नई दिशा दें।