🪶 श्राद्ध पंचमी को यमुनोत्री धाम पर पितृ अनुष्ठानों के साथ यम दंड मुक्ति पूजा है सुनहरा अवसर
🪔 पितृ पक्ष का महत्व:
पितृ पक्ष की कई कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक महाभारत काल से जुड़ी है। कर्ण के स्वर्ग जाने के बाद उन्हें स्वर्ग में सोने और आभूषण प्राप्त हुए, लेकिन भोजन नहीं दिया गया। कर्ण ने इंद्र से इसका कारण पूछा तो उन्होंने जवाब दिया कि कर्ण ने जीवनभर दान तो किया, लेकिन अपने पूर्वजों को तर्पण और भोजन नहीं दिया। तब इंद्रदेव ने उन्हें पृथ्वी पर पितृों का श्राद्ध करने के लिए 15 दिनों का समय दिया। यही 15 दिन पितृ पक्ष या श्राद्ध कहलाते हैं। इसी महत्व के साथ पंचमी पर यमुनोत्री धाम में विशेष पितृ अनुष्ठान होने जा रहे हैं, जिसमें भाग लेकर आप पूर्वजों की अधूरी इच्छाओं का सम्मान कर सकते हैं।
🪶 नारायण बलि, नाग बलि और यम दंड मुक्ति पूजा पितृ दोष, अकाल मृत्यु और अनजाने अपराधों से राहत के लिए किए जाने वाले अत्यंत प्रभावी वैदिक अनुष्ठान हैं। नारायण बलि पूजा उन आत्माओं की शांति के लिए की जाती है, जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो। नाग बलि पूजा नाग दोष और संबंधित बाधाओं को दूर करने में सहायक मानी गई है। यम दंड मुक्ति पूजा जन्मों के पाप, बंधन और संकटों से मुक्ति की प्रार्थना है, क्योंकि यमुना जी यमदेव की बहन हैं। शास्त्रों के अनुसार, इन विशेष अनुष्ठानों से पितरों की आत्मा तृप्त होती है, पितृ दोष शांति होते हैं और जीवन में सुख, समृद्धि और स्थिरता की दिशा मिलती है।
🪶 यमुनोत्री धाम की महिमा:
इस अनुष्ठान में यमुनोत्री धाम में यमुना दुग्ध अभिषेक भी शामिल है, जो बेहद पवित्र और पुण्यकारी अनुष्ठान है। इसमें भक्त यमुनाजी को दूध, घी, शहद और जल का अभिषेक करते हैं। यह पूजा विशेष रूप से यमुनाजी की कृपा पाने और उनके आशीर्वाद से जीवन के कष्टों को दूर करने के लिए की जाती है। मान्यता है कि यमुना दुग्ध अभिषेक से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं और पुण्य की प्राप्ति संभव है। यमुनोत्री में इस अभिषेक का महत्व इस कारण भी है कि यह स्थल माँ यमुनाजी का जन्मस्थान और एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यह पूजा पितृों की अधूरी इच्छाओं की पूर्ति में बेहद सहायक और फलदायी मानी गई है।
श्री मंदिर द्वारा घर बैठे इस अनुष्ठान में भाग लेने का अवसर हाथ से न जाने दें।