🪷 साल 2026 की पहली कालाष्टमी भगवान काल भैरव की विशेष कृपा प्राप्त करने का अत्यंत शुभ अवसर लेकर आई है। कालाष्टमी पर श्री काल भैरवदेव को समय, भय और नकारात्मक शक्तियों के अधिपति के रूप में पूजा जाता है। इस पावन दिन 4 प्रहर काल भैरव अभिषेक पूजा का विशेष महत्व है, जिसमें पूरे दिन चारों प्रहरों में क्रमशः जल, दूध, दही, घी, शहद और विशेष द्रव्यों से अभिषेक किया जाता है। इस अनुष्ठान में श्रृंगार, खप्पर और भोग सेवा भी शामिल रहती है, जो भक्तों को पिछले 7 जन्म के पापों का नाश कर सकती है।
🪷 शास्त्रों के अनुसार, 4 प्रहर अभिषेक से जीवन में अचानक आने वाले संकट, भय, शत्रु बाधा, तंत्र-बाधा, 7 जन्मों के पापों का प्रभाव कम होता है। यह पूजा विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायी हो सकती है, जो लंबे समय से रुकावटों, अनिश्चितता और नकारात्मक ऊर्जा से जूझ रहे हैं। काल भैरव को ‘काशी का रक्षक’ भी माना गया है। यहीं स्थित श्री बटुक भैरव मंदिर में उनकी आराधना से साधक को साहस, सुरक्षा और कर्मों का शुभ फल प्राप्त होता है। 2026 की पहली कालाष्टमी पर किया गया यह 4 प्रहर अभिषेक विद्वानों द्वारा आने वाले पूरे वर्ष के लिए जीवन को सुरक्षित, संतुलित और पापमुक्त बनाने में सहायक माना गया है।
🪷 शास्त्रों के अनुसार, जब संसार में अधर्म और अन्याय बढ़ गया, तब भगवान शिव ने काल भैरव रूप धारण कर दुष्ट शक्तियों का नाश किया और धर्म की रक्षा की। भैरव देव को समय, न्याय और ‘सुरक्षा का देवता’ कहा जाता है। माना जाता है कि कालाष्टमी पर श्री काल भैरव अभिषेक, श्रृंगार, खप्पर और भोग पूजा से अनदेखे शत्रुओं, नकारात्मक ऊर्जाओं के साथ-साथ पिछले जन्मों के पापों से राहत संभव है।
साल 2026 की पहली कालाष्टमी पर श्री मंदिर द्वारा 4 प्रहर काल भैरव अभिषेक, श्रृंगार सेवा, खप्पर सेवा और भोग सेवा आयोजित होगी। 4 प्रहर का अर्थ है कि दिनभर 4 चरणों में भगवान की विशेष सेवा की जाएगी:
🔹 श्रृंगार सेवा – विशेष वस्त्र और आभूषणों से सजाया जाएगा
🔹 खप्पर सेवा – खप्पर (अस्थि पात्र) का प्रतीकात्मक अर्पण किया जाएगा, जो उनके वैराग्य और त्याग का प्रतीक है।
🔹 भोग सेवा – भोग अर्पित कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाएगा।
🌺 यह अनुष्ठान श्री बटुक भैरव मंदिर, काशी में संपन्न होगा और इस विशेष अवसर में घर बैठे शामिल होकर भक्त श्री काल भैरव के रक्षण और पिछले 7 जन्मों के पाप नाश का दिव्य आशीर्वाद पा सकते हैं।🕯️