🪷 साल 2025 की आखिरी कालाष्टमी पर काल भैरव महापूजा अत्यंत शक्तिशाली और रक्षक मानी गई है। यह दिव्य अवसर भक्तों को दिव्य संरक्षण, साहस के साथ 7 जन्मों के पापों से रक्षा की दिशा दिखा सकता है। शास्त्रों के अनुसार, जब संसार में अधर्म और अन्याय बढ़ गया, तब भगवान शिव ने काल भैरव रूप धारण कर दुष्ट शक्तियों का नाश किया और धर्म की रक्षा की। भैरव देव को समय, न्याय और सुरक्षा के देवता कहा जाता है। माना जाता है कि कालाष्टमी पर श्री काल भैरव अभिषेक, श्रृंगार, खप्पर और भोग पूजा से अनदेखे शत्रुओं, नकारात्मक ऊर्जाओं के साथ-साथ पिछले जन्मों के पापों से राहत संभव है।
शास्त्रों में कथा आती है कि जब भगवान ब्रह्मा के मन में अहंकार बढ़ गया, तब भगवान शिव ने काल भैरव रूप धारण कर ब्रह्मा जी का एक सिर काट दिया। यह घटना अहंकार का विनाश और धर्म की रक्षा का प्रतीक मानी जाती है। इसके बाद, ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए काल भैरव पूरी धरती पर घूमते रहे और अंत में काशी में उन्हें मोक्ष और शांति प्राप्त हुई। तभी से ‘काशी के कोतवाल’ के रूप में काल भैरव की पूजा की जाती है, जो हर भक्त की रक्षा करते हैं।
अब साल की आखिरी कालाष्टमी पर श्री मंदिर द्वारा 4 प्रहर काल भैरव अभिषेक, श्रृंगार सेवा, खप्पर सेवा और भोग सेवा आयोजित होगा। 4 प्रहर का अर्थ है कि दिन भर 4 चरणों में भगवान की विशेष सेवा की जाएगी:
🔹 श्रृंगार सेवा – विशेष वस्त्र और आभूषणों से सजाया जाएगा।
🔹 खप्पर सेवा – खप्पर (अस्थि पात्र) का प्रतीकात्मक अर्पण किया जाएगा, जो उनके वैराग्य और त्याग का प्रतीक है।
🔹 भोग सेवा – भोग अर्पित कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाएगा।
🌺 यह अनुष्ठान श्री आदि काल भैरव मंदिर, काल भैरव मंदिर, काशी में संपन्न होगा और इसी महादेव क्षेत्र स्थित काल भैरव मंदिर में विशेष आरती की जाएगी। आप भी इस विशेष अवसर में शामिल होकर, काल भैरव के रक्षण और कृपा का दिव्य आशीर्वाद पा सकते हैं।🕯️