ज्येष्ठ पूर्णिमा के शुभ अवसर पर भगवान भैरव से पाएं धन और समृद्धि का विशेष आशीर्वाद 🙏💰✨
ज्येष्ठ पूर्णिमा का हिंदू धर्म में बहुत खास महत्व है। यह दिन पूजा-पाठ और व्रत के लिए बहुत पवित्र माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान भैरव की सच्चे मन से पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। काशी के प्रसिद्ध श्री बटुक भैरव मंदिर में इस दिन स्वर्णाकर्षण भैरव मंत्र जाप, बटुक भैरव स्तोत्र पाठ और हवन जैसे विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। भगवान भैरव को भगवान शिव का ही एक रूप माना जाता है। उनके स्वर्णाकर्षण स्वरूप की पूजा खासतौर पर धन प्राप्ति और कर्ज से मुक्ति के लिए की जाती है। इस रूप में भगवान भैरव को एक ऐसे पात्र के साथ दर्शाया जाता है जो कभी खाली नहीं होता। मान्यता है कि उनके एक ओर भगवान कुबेर और दूसरी ओर माता लक्ष्मी खड़ी होती हैं, जो उन्हें आदरपूर्वक प्रणाम कर रही होती हैं।
माँ लक्ष्मी और भगवान कुबेर ने स्वर्णाकर्षण भैरव की पूजा क्यों की?🤔
पौराणिक कथा के अनुसार, जब देवताओं और राक्षसों के बीच लंबे समय तक युद्ध चला, तब भगवान कुबेर का खजाना खाली हो गया और माँ लक्ष्मी भी चिंतित हो गईं। तब वे भगवान शिव के पास मदद के लिए पहुँचे। शिवजी ने उन्हें स्वर्णाकर्षण भैरव की पूजा का उपाय बताया। फिर माँ लक्ष्मी और कुबेर ने कठोर तप किया। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर स्वर्णाकर्षण भैरव प्रकट हुए और उन्होंने उन पर सोने की वर्षा की, जिससे सबको फिर से समृद्धि मिल गई। ऐसा माना जाता है कि स्वर्णाकर्षण भैरव की पूजा से धन संबंधी परेशानियाँ दूर होती हैं और जीवन में सुख और स्थिरता आती है। वहीं, उनके बाल स्वरूप बटुक भैरव की पूजा करने से घर में सुरक्षा और शांति बनी रहती है।
इसलिए, इस ज्येष्ठ पूर्णिमा पर श्री मंदिर के माध्यम से इस पवित्र अनुष्ठान में भाग लें और भगवान भैरव का आशीर्वाद पाकर अपने जीवन को सुख, समृद्धि और सफलता से भरें।