🌸कभी-कभी ऐसा लगता है कि चाहे हम कितनी भी मेहनत करें, कोई अदृश्य शक्ति हमारे खिलाफ काम कर रही है जोकि हमारे जीवन में अड़चनें डालती है और मन में डर भर देती है। यह छिपी हुई नकारात्मकता या किसी की बुरी भावना का असर हो सकता है। हमारे शास्त्रों में बताया गया है कि ऐसे समय में केवल एक दिव्य शक्ति ही हमें सुरक्षा दे सकती है जो करुणामयी भी है और प्रचंड भी, ऐसी स्थिति में हम शरण लेते हैं मां चामुंडा की जोकि निर्दोषों की रक्षक और बुराई का नाश करने वाली मानी जाती हैं। विशेषकर कोलकाता स्थित कालीघाट शक्तिपीठ में उनकी उपासना करने से व्यक्ति और उसके परिवार के चारों ओर दिव्य सुरक्षा कवच बनता है।
🌸मां चामुंडा के प्रकट होने की कथा दुर्गा सप्तशती में वर्णित है। जब देवी दुर्गा का युद्ध असुरों से चल रहा था, तब चंड और मुंड नामक दो शक्तिशाली राक्षसों ने देवी पर आक्रमण किया। उस समय मां दुर्गा के क्रोध से उनके ललाट से एक भयंकर रूप प्रकट हुआ वही थीं मां काली। उन्होंने अकेले ही चंड और मुंड का संहार किया, इसलिए उन्हें “चामुंडा” कहा गया। यह कथा उनके असीम बल और उनके उद्देश्य को दर्शाती है। जिसमें निहित है धर्म की रक्षा और अपने भक्तों को अनिष्ट शक्तियों से बचाना। मान्यता है कि मां चामुंडा की उपासना करने से भक्त अदृश्य शत्रुओं और भय से मुक्ति पाते हैं।
🌸विशेष तौर पर शक्ति साधना के पवित्र दिन शुक्रवार को होने वाला विशेष अनुष्ठान मां चामुंडा की कृपा प्राप्त करने का एक सशक्त माध्यम माना जाता है। इसमें 11,000 नवार्ण मंत्रों का जाप किया जाता है, जो मां महालक्ष्मी, मां महासरस्वती और मां महाकाली तीनों शक्तियों की ऊर्जा को जागृत करता है। विशेष विधि से किया जाने वाला “लाल पुष्पांजलि हवन” देवी को अत्यंत प्रिय माना गया है। इसे करने से मां के आशीर्वाद शीघ्र प्राप्त हो सकते हैं और भय, शत्रु या जीवन की कठिनाइयों से राहत मिलती है। कालीघाट जैसे शक्तिपीठ में इस अनुष्ठान का आयोजन व्यक्ति के जीवन में साहस, स्थिरता और दिव्य सुरक्षा प्रदान करता है।
🙏 श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में सम्मिलित होकर, आप भी मां की दिव्य सुरक्षा, विजय और निडरता के आशीर्वाद को प्राप्त कर सकते हैं।