✨ क्या शनि जयंती का दिन बन सकता है आपके लिए शनि प्रकोप से मुक्ति और परिवारिक सुख-समृद्धि प्राप्ति का दुर्लभ अवसर 🕉️🪔
ज्येष्ठ अमावस्या के पावन दिन मनाई जाने वाली शनि जयंती हिंदू धर्म में अत्यंत धार्मिक, आध्यात्मिक और ज्योतिषीय महत्व रखती है। यह दिन न्याय और कर्मफल के देवता भगवान शनि के जन्मोत्सव के रूप में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस दिन शनि देव की पूजा, स्तुति, मंत्र जाप और यज्ञ करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। विशेष रूप से यदि कोई व्यक्ति शनि महादशा, साढ़ेसाती या ढैय्या की पीड़ा से गुजर रहा हो, तो शनि जयंती पर किए गए उपाय और अनुष्ठान शनि के नकारात्मक प्रभावों को शांति प्रदान करते हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति का आगमन होता है।
इस वर्ष शनि जयंती पर कृतिका और रोहिणी नक्षत्र में सुकर्मा योग का निर्माण हो रहा है, जो अत्यंत शुभ संयोग माना गया है। यह योग शनि देव की विशेष कृपा प्राप्त करने का उत्तम अवसर माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, राजा दशरथ ने भगवान शनि को प्रसन्न करने के लिए ‘दशरथकृत शनि स्तोत्र’ की रचना की थी। ऐसी मान्यता है कि इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से शनि ग्रह के दोष शांत होते हैं और शनि कृपा प्राप्त होती है। इसलिए शनि जयंती के शुभ दिन दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ अत्यंत पुण्यदायक माना गया है। इसके अतिरिक्त, इस दिव्य तिथि पर 1008 शनि मूल मंत्रों का जाप करने से पारिवारिक सुख-समृद्धि और जीवन की विविध बाधाओं से मुक्ति का आशीष प्राप्त होता है। यह मंत्र जाप व्यक्ति के जीवन में मानसिक स्थिरता, आत्मबल और समृद्धि लाने में सहायक होता है। इन्हीं आध्यात्मिक मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए श्री मंदिर द्वारा उज्जैन स्थित श्री नवग्रह शनि मंदिर में शनि जयंती के पावन अवसर पर दशरथकृत शनि स्तोत्र पाठ एवं 1008 शनि मूल मंत्र जाप का विशेष अनुष्ठान आयोजित किया जा रहा है।
आप भी इस दिव्य आयोजन में सहभागी बनें और भगवान शनि की कृपा से मानसिक अशांति, अवसाद और जीवन की समस्त बाधाओं से मुक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करें।