🌑🔱 शनि जयंती और बड़ा मंगल का संयोग – शनि प्रकोप और वर्षों की बीमारियों से मुक्ति का दुर्लभ अवसर 💫🕉️
ज्येष्ठ अमावस्या के पावन दिन मनाई जाने वाली शनि जयंती हिंदू धर्म में अत्यंत धार्मिक, आध्यात्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह तिथि न्याय और कर्मफल के देवता भगवान शनि के प्राकट्य दिवस के रूप में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जाती है। विशेष बात यह है कि इस वर्ष शनि जयंती पर बड़ा मंगल का दुर्लभ और शुभ संयोग बन रहा है, जिससे इस दिन की महिमा और भी बढ़ गई है। ऐसा माना जाता है कि जब शनि जयंती और बड़ा मंगल एक साथ आते हैं, तो इस दिन किए गए पूजन, मंत्र जाप और यज्ञ शीघ्र फलदायी होते हैं। यदि भक्त श्रद्धाभाव से भगवान शनि की आराधना करें, तो उन्हें दीर्घकालिक रोगों, मानसिक तनाव, दुर्भाग्य और जीवन की विविध बाधाओं से राहत मिल सकती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि की स्थिति प्रतिकूल होती है, तो उसके जीवन में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ, नौकरी में रुकावटें, आर्थिक नुकसान, पारिवारिक तनाव और बार-बार दुर्घटनाएँ होने लगती हैं। शनि की महादशा जहाँ 19 वर्षों तक जीवन को प्रभावित करती है, वहीं ढैय्या भी ढाई वर्षों तक कई प्रकार की परेशानियाँ उत्पन्न कर सकती है। इन कष्टों से मुक्ति पाने के लिए शास्त्रों में विशिष्ट उपाय बताए गए हैं। इनमें ‘शनैश्चर स्तवराज स्तोत्र’ का पाठ शनि दोष को शांत करने के लिए अत्यंत प्रभावकारी माना गया है। यह स्तोत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए अमोघ उपाय है जो दीर्घकालिक या असाध्य रोगों से पीड़ित हैं। साथ ही, ‘ब्रह्मांड पुराण’ में वर्णित ‘शनि कवच’ भगवान शनि के क्रोध से रक्षा करता है और मानसिक स्थिरता और आत्मबल प्रदान करता है।
इसीलिए शनि जयंती के इस पावन अवसर पर उज्जैन स्थित श्री नवग्रह शनि मंदिर में विशेष रूप से ‘शनैश्चर स्तवराज स्तोत्र’ एवं ‘शनि कवच’ के सामूहिक पाठ का आयोजन किया जा रहा है। आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस दिव्य अनुष्ठान से जुड़ें और भगवान शनि की कृपा से क्लेश, रोग, मानसिक अशांति से मुक्ति पाकर उत्तम स्वास्थ्य और जीवन की स्थिरता का आशीर्वाद प्राप्त करें।