🔱 जब जीवन में अदृश्य बाधाएँ राह रोकने लगें, तो गुप्त नवरात्रि में राहु–केतु शांति पूजा बन सकती है आपके लिए दिव्य समाधान
ज्योतिष शास्त्र में गुप्त नवरात्रि को विशेष शक्तियों के जागरण और अदृश्य ग्रह बाधाओं के निवारण का काल माना गया है। इस दौरान की गई साधनाएं विशेष रूप से फलदायी होती हैं। ऐसा माना जाता है कि इन नौ रातों में देवी दुर्गा के गुप्त रूपों की पूजा करने से न केवल तांत्रिक साधना सिद्ध होती है, बल्कि ग्रहों की अशुभता भी शांत हो सकती है। विशेष रूप से, राहु और केतु जो छाया ग्रह माने जाते हैं। उनकी शांति के लिए यह काल अत्यंत शुभ होता है।
जब राहु और केतु अशुभ हों, तो जीवन में दिखते हैं ये संकेत:
🔹 निर्णय लेने में भ्रम, सोच में रुकावट और आगे बढ़ने में असमर्थता
🔹 लंबे समय तक चलने वाली मानसिक और शारीरिक बीमारियाँ
🔹 रिश्तों में खटास, मनमुटाव और भावनात्मक असंतुलन
🔹 करियर में बार-बार रुकावटें, प्रयासों के बाद भी असफलता और आर्थिक कमजोरी
ऐसे समय में लगता है जैसे कोई अदृश्य शक्ति बार-बार राह में अड़चनें खड़ी कर रही हो। हर दिशा में अस्थिरता, भ्रम और मानसिक थकावट, अगर आप भी इन अनुभवों से जूझ रहे हैं, तो यह संकेत हो सकता है कि राहु और केतु की नकारात्मक ऊर्जा सक्रिय है। इन अदृश्य ग्रह प्रभावों के निवारण हेतु, श्री मंदिर द्वारा गुप्त नवरात्रि पर एक विशेष वैदिक अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है:
🔸 25,000 राहु–केतु मूल मंत्र जाप
🔸 दुर्गा द्वात्रिशत नाममाला पाठ
🔸 दुर्गा चंडी हवन
यह दिव्य आयोजन प्रयागराज स्थित सिद्ध पीठ ललिता देवी मंदिर में सम्पन्न होगा, जिसे शक्तिपीठों में विशेष स्थान प्राप्त है। ऐसा माना जाता है कि इस प्रकार के सामूहिक और मंत्रयुक्त अनुष्ठान से राहु–केतु की अशुभता शांत होती है, और नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव धीरे-धीरे कम होने लगता है। देवी दुर्गा की कृपा से व्यक्ति को मानसिक स्पष्टता, स्थिरता और आत्मबल प्राप्त होता है। यदि आप जीवन में बिना कारण बार-बार अटकते हैं, मानसिक थकावट, बीमारियाँ, रिश्तों में उलझन या आर्थिक असफलताओं का सामना कर रहे हैं, तो यह पूजा आपके लिए एक दिव्य समाधान बन सकती है।