🪐क्या आपकी कुंडली में शनि-चंद्र विष योग जीवन को एक अंतहीन संघर्ष बना रहा है?😞⚠️
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में शनि और चंद्र का संयोग एक टकराव की स्थिति पैदा करता है, जहाँ कर्म का भारी बोझ मन की शांति को प्रभावित करता है। शनि जो कर्म, रुकावटों और संघर्ष का कारक है, वह चंद्रमा की भावनात्मक ऊर्जा को दबा देता है। इसका असर मानसिक उलझन, डर और अस्थिरता के रूप में सामने आता है, जिससे छोटे-छोटे फैसले लेना भी मुश्किल हो जाता है। मन हर समय चिंता में डूबा रहता है, जिससे ज़्यादा सोचने की आदत, भावनात्मक टूटन और एक अजीब सी घुटन महसूस होती है। इस योग के कारण जीवन में सफलता मिलना कठिन हो जाता है, रिश्तों में तनाव आता है और हर काम में देरी होती है। इसे शनि-चंद्र दोष कहा जाता है, जो लंबे समय तक तनाव, आर्थिक रुकावट और अचानक आने वाली परेशानियों का कारण बनता है। प्रभावित व्यक्ति खुद को तनाव, आत्म-संदेह और आगे बढ़ने में असमर्थ पाता है। यह ग्रह योग जीवन में असफलता, खोए हुए मौके और एक ऐसा बोझ बन जाता है जिससे बाहर निकलना बहुत मुश्किल लगता है।
🔱 इस शनि जयंती पर अपनाएं शनि-चंद्र दोष से मुक्ति हेतु शास्त्रों में वर्णित सबसे प्रभावी अनुष्ठान 🕉️🪔
इस परेशानी से राहत पाने के लिए शनि जयंती का दिन बहुत खास माना जाता है। यह दिन शनिदेव के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। इस बार इस दिन अमावस्या भी पड़ रही है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन शनिदेव की पूजा करने से सभी तरह के दोषों से मुक्ति मिल सकती है। इसीलिए शनि-चंद्र दोष को दूर करने के लिए उज्जैन के श्री नवग्रह शनि मंदिर में एक विशेष पूजा का आयोजन किया जा रहा है। इसमें शास्त्रों में बताए गए 19,000 शनि मूल मंत्र जाप और 10,000 चंद्र मूल मंत्र जाप जैसे शक्तिशाली अनुष्ठान किए जाएंगे। माना जाता है कि यह पूजा शनि के नकारात्मक प्रभाव को शांत करती है और चंद्रमा की ऊर्जा को संतुलन देती है। इससे मन को शांति मिलती है, जीवन की रुकावटें दूर होती हैं और आत्मविश्वास फिर से लौटता है। अगर आप भी लंबे समय से कठिनाइयों, बार-बार की विफलताओं और मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं, तो यह पूजा आपके लिए एक सटीक समाधान बन सकती है। श्री मंदिर के माध्यम से इस पवित्र अनुष्ठान में भाग लें और जीवन की हर बाधा से मुक्ति के लिए शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त करें।