🪐क्या आपकी जन्म कुंडली में शनि-चंद्र विष योग आपके जीवन को लगातार संघर्ष और तनाव में बदल रहा है? 😞⚠️
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, शनि और चंद्रमा की युति या निकट दृष्टि एक ऐसी स्थिति पैदा करती है जो मानसिक शांति और स्पष्टता को भंग करती है। शनि, जो कर्म, देरी और जीवन की चुनौतियों का कारक है, चंद्रमा की भावनात्मक ऊर्जा को दबा देता है। इससे अधिक सोच-विचार, आंतरिक भ्रम और तनाव बढ़ता है। इस शनि-चंद्र विष योग के कारण भावनात्मक अस्थिरता, लगातार भय और असहायता की भावना उत्पन्न होती है। सफलता दूर लगने लगती है, रिश्तों में तनाव आता है और हर प्रयास में अनजानी देरी होती है। प्रभावित व्यक्ति अपने विचारों में उलझा हुआ महसूस करता है और असफलता व निराशा के चक्र से बाहर निकल पाना मुश्किल हो जाता है।
🔱इस ज्येष्ठ पूर्णिमा पर, एक विशेष मध्यरात्रि अनुष्ठान के माध्यम से शनि-चंद्र विष योग के तीव्र प्रभावों को दूर करें 🕉️🌕
10 जून को, ज्येष्ठ पूर्णिमा और शनि द्वारा शासित अनुराधा नक्षत्र का दुर्लभ और शक्तिशाली संयोग इस दोष से मुक्ति का सुनहरा अवसर लेकर आता है। श्री शनि देव मंदिर, कोसी कलां में इसी दिन एक विशेष मध्यरात्रि पूजा का आयोजन किया जा रहा है, जब ब्रह्मांडीय संरेखण सबसे प्रभावी होता है और भगवान शनि की कृपा अधिकतम होती है। इस पूजा में शास्त्रों के अनुसार 19,000 शनि मूल मंत्र और 10,000 चंद्र मूल मंत्रों का जाप किया जाएगा। ये मंत्र शनि के कठोर प्रभावों को शांत करते हैं और चंद्रमा की भावनात्मक अशांति को स्थिर करते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह अनुष्ठान मानसिक शांति, भावनात्मक स्थिरता और पुरानी रुकावटों को दूर कर जीवन में नई दिशा और ऊर्जा प्रदान करता है।
यदि आप लगातार तनाव, असफलता, भावनात्मक निराशा और देरी का सामना कर रहे हैं, तो यह ज्येष्ठ पूर्णिमा की मध्यरात्रि पूजा आपके लिए एक दुर्लभ अवसर है। श्री मंदिर के माध्यम से इस पवित्र अनुष्ठान में भाग लेकर आप राहत, संतुलन और नई ताकत के लिए दिव्य आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।