🌙 क्या आप स्वास्थ्य समस्याओं से परेशान हैं? सावन काशी निशित काल मध्यरात्रि विशेष अवसर पर श्री ओंकारेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित पूजा से पाएं बेहतर स्वास्थ्य, ऊर्जा और शिव कृपा का दिव्य आशीर्वाद 🔱🕉️
हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन माह भगवान शिव को समर्पित एक बहुत ही पवित्र समय माना जाता है। मान्यता है कि इस पूरे महीने में ब्रह्मांड शिव तत्व की दिव्य ऊर्जा से भर जाता है, जिससे यह समय भक्ति, साधना और आत्मिक जुड़ाव के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। सावन के हर सोमवार को भगवान शिव की पूजा के लिए खास माना गया है, लेकिन आखिरी सोमवार विशेष महत्व रखता है। मान्यता है कि इस दिन का व्रत करने से सभी सोमवार व्रतों का फल एक साथ प्राप्त होता है और भगवान शिव कृपा प्राप्ति का सबसे शुभ क्षण होता है।
इस दिन के सभी समयों में से, 'निशित काल' यानी आधी रात के समय को सबसे शुभ माना जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान शिव इस समय की गई प्रार्थनाओं को विशेष रूप से स्वीकार करते हैं। इस दौरान आत्मिक परिवर्तन, आत्मचिंतन और ईश्वर से जुड़ाव की शक्ति सबसे अधिक होती है। इसीलिए सावन के आखिरी सोमवार को निशित काल में किया गया रुद्राभिषेक अत्यंत फलदायी माना गया है। यह पूजा मन की गहराई से शुद्धि लाती है और शिव की कृपा से आत्मा को उच्च ऊर्जा से जोड़ने में मदद करती है। यह अनुष्ठान तब और भी अधिक प्रभावशाली हो जाता है जब इसे भगवान शिव की नगरी काशी में किया जाए।
भारत की आध्यात्मिक राजधानी मानी जाने वाली काशी को स्वयं शिव द्वारा स्थापित माना गया है। मान्यता है कि जहाँ बाकी तीर्थ स्थल पृथ्वी पर स्थित हैं, वहीं काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी हुई है, जो समय और विनाश से परे है। काशी के अनेकों मंदिरों में से ओंकारेश्वर महादेव मंदिर को विशेष श्रद्धा और मान्यता प्राप्त है। पुराणों में कहा गया है कि सृष्टि की रचना के बाद भगवान ब्रह्मा ने यहीं तप किया था और शिव जी से प्रकट होने की प्रार्थना की थी। तब भगवान शिव ने 'ओंकारेश्वर' रूप में स्वयं को प्रकट किया, जिससे यह स्थान अत्यंत पवित्र बन गया।
सावन के पहले सोमवार को श्री मंदिर द्वारा काशी के ओंकारेश्वर महादेव मंदिर में निशित काल में विशेष रुद्राभिषेक का आयोजन किया जा रहा है। सावन की ऊर्जा, काशी की दिव्यता और निशित काल की पवित्रता - इन तीनों का संगम इस अनुष्ठान को एक गहन आध्यात्मिक अनुभव बनाता है। ऐसा माना जाता है कि इस पूजन में भाग लेने से भक्ति गहराती है, जीवन का उद्देश्य स्पष्ट हो सकता है, और भगवान शिव की कृपा से मन को शांति व आत्मा को नई दिशा मिलने में मदद मिलती है।