🙏 जीवन में विघ्न-बाधाएं पीछा नहीं छोड़ रहीं? प्रथम पूज्य भगवान गणपति की शरण में जाएं!
🔶 हिंदू कैंलेडर में सावन समापन के बाद भाद्रपद महीने की शुरुआत होती है। भाद्रपद महीना त्योहारों से भरपूर रहता है, जिसमें जन्माष्टमी, अनंत चतुर्दशी जैसे त्योहार भक्तों के बीच धूमधाम से मनाए जाते हैं। त्योहारों के इस महीने में आराधना और अनुष्ठान भी भव्य हो जाते हैं, जिसके फल से भक्तों को जीवन में नए-नए अवसर मिलते हैं और उन्नति की दिशा मजबूत होती है। इसी क्रम में बुधवार और चतुर्थी के शुभ संयोग में विघ्नहर्ता गणेश जी की आराधना अवसर है, जो जीवन की बाधाओं और संघर्षों को सफलता में बदल सकती है।
पुराणों के अनुसार, भगवान गणेश जी 8 दिव्य रूपों में प्रकट होते हैं - वक्रतुंड, एकदंत, महोदर, गजानन, लंबोदर, विकट, विघ्नराज और धूम्रवर्ण। इनमें से 7वें स्वरूप 'विघ्नराज' की पूजा, विशेष रूप से परेशानियों से राहत, नकारात्मक ऊर्जाओं से रक्षा और जीवन में सफलता के लिए की जाती है। ऐसा माना जाता है कि जब भक्त सच्ची श्रद्धा से विघ्नहर्ता पूजा और हवन में भाग लेते हैं तो वे अपने विघ्नराज स्वरूप में प्रसन्न होकर जीवन के संघर्षों को सफलता में बदल सकते हैं। विशेष रूप से बुधवार और चतुर्थी के शुभ दिन विघ्नहर्ता गणेश के अनुष्ठान से उनकी कृपा शीघ्र प्राप्त होती है, क्योंकि सनातन धर्म में यह दिन भगवान गणेश को समर्पित और अत्यंत प्रिय माना गया है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार, जिस दिन माता पार्वती ने भगवान गणेश का निर्माण किया था, उसी दिन कैलाश पर बुधदेव भी उपस्थित थे। जब बुधदेव ने उनके दर्शन किए तो प्रसन्न होकर उन्होंने अपना दिन यानी बुधवार गणेश जी को समर्पित कर दिया। इस कारण बुधवार के दिन श्री गणेश की पूजा विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है। शास्त्रों में भी यह उल्लेख मिलता है कि इस दिन गणेश जी का स्मरण करने से जीवन की बाधाएँ स्वतः ही समाप्त होने लगती हैं। यही कारण है कि गणेश जी को ‘विघ्नहर्ता’ कहा गया है, जो अपने भक्तों के मार्ग में आने वाले सभी विघ्नों और संकटों का निवारण कर उन्हें जीवन में सही दिशा दिखाते हैं।
🔶 इस चतुर्थी-बुधवार गणेश जी को समर्पित विघ्नहर्ता पूजा और हवन का आयोजन नासिक स्थित चांदीचा गणपती मंदिर जैसे सिद्ध स्थल में होने जा रहा है। इस मंदिर में 201 किलो चांदी की गणेश प्रतिमा के कारण इसे ‘चांदीचा गणपती’ नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ होता है ‘चांदी के भगवान गणेश’। मान्यता है कि बुधवार और चतुर्थी के शुभ संयोग में यह अनुष्ठान करने से जीवन में एक के बाद एक आ रहीं बाधाएं शांत हो सकती हैं और सालों के संघर्ष सफलता में बदलने लगते हैं। यदि आप जीवन में असहाय हो चुके हैं, आगे का रास्ता नज़र नहीं आ रहा, कोई भी काम शुरू करते हैं, विघ्न-बाधाएं उसे पूरा होने से रोक देती हैं तो यह अनुष्ठान बदलाव ला सकता है। जल्द गणेश उत्सव की शुरुआत होने वाली है, आप अपनी प्रार्थना भगवान गणपति तक अभी से पहुंचा दें!