🚩 साल के पहले दिन श्री नारायण और माँ बगलामुखी की संयुक्त पूजा क्यों विशेष मानी गई है?
हिंदू परंपरा में साल का पहला दिन केवल एक नई तिथि नहीं, बल्कि जीवन की दिशा, संकल्प और कर्म ऊर्जा को पुनः स्थापित करने का पवित्र अवसर माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन की गई साधना पूरे वर्ष की मानसिक स्थिति, निर्णय क्षमता और संघर्षों के परिणामों को प्रभावित करती है। यही कारण है कि वर्षारंभ पर भगवान श्री नारायण, जो ब्रह्मांड के पालनकर्ता हैं, और माँ बगलामुखी, जो विजय और स्थिरता की अधिष्ठात्री शक्ति मानी जाती हैं, की संयुक्त पूजा अत्यंत प्रभावशाली मानी गई है। इस विशेष अवसर पर 36,000 माँ बगलामुखी मंत्र जाप और नारायण सुदर्शन कवचम यज्ञ का आयोजन माँ के हरिद्वार स्थित धाम और मथुरा के श्री दीर्घ विष्णु मंदिर में किया जा रहा है। यह अनुष्ठान वर्ष की शुरुआत को संरक्षण, स्पष्टता और निर्णायक ऊर्जा से भरने का माध्यम माना जाता है।
🚩 माँ बगलामुखी और भगवान श्री नारायण की संयुक्त पूजा ही क्यों?
जब जीवन में असंतुलन, बाधाएं और विरोधी शक्तियां बढ़ने लगती हैं, तब केवल पालन और संरक्षण पर्याप्त नहीं होता, बल्कि स्थिरता और नियंत्रण भी आवश्यक होता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, सतयुग में आए महाविनाशकारी ब्रह्मांडीय तूफान को रोकने के लिए भगवान विष्णु ने देवी शक्ति की उपासना की थी। उनकी कठोर साधना से हरिद्रा सरोवर के समीप माँ बगलामुखी प्रकट हुईं, जिन्होंने विनाश को स्थिर कर संसार की रक्षा की। इस कथा के आधार पर यह धारणा है कि भगवान नारायण और माँ बगलामुखी का मिलन संरक्षण और विजय, दोनों का संतुलन स्थापित करता है। वर्ष के पहले दिन यह साधना जीवन में सही दिशा, निर्णयों में दृढ़ता और बाहरी बाधाओं पर नियंत्रण प्रदान करने वाली मानी जाती है।
🚩 नारायण सुदर्शन कवचम यज्ञ की महिमा
माँ बगलामुखी को दस महाविद्याओं में एक के रूप में पूजा जाता है और उन्हें पीताम्बरा कहा जाता है। उनकी साधना से मानसिक स्पष्टता, साहस और विरोधी परिस्थितियों में स्थिर रहने की शक्ति प्राप्त होने की मान्यता है। वहीं सुदर्शन चक्र भगवान श्री नारायण का दिव्य अस्त्र है, जो नकारात्मक शक्तियों का नाश कर धर्म की रक्षा करता है। जब माँ बगलामुखी मंत्र जाप को नारायण सुदर्शन कवचम यज्ञ के साथ संपन्न किया जाता है, तब यह अनुष्ठान वर्ष की शुरुआत में ही जीवन की अव्यवस्था, कानूनी उलझनों, शत्रु बाधाओं और मानसिक अस्थिरता को शांत करने का माध्यम माना जाता है, साल के पहले दिन का यह स्वर्णिम अवसर हाथ से न जानें दें। श्री मंदिर के माध्यम से इस दिव्य अनुष्ठान में भाग लें।