🙏 सावन के आखिरी दिन 23 हजार शनि मूल मंत्र जाप और 1008 हनुमान अष्टक पाठ की शक्ति को महसूस करें
सावन, भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना माना जाता है। यह महीना न केवल शिव भक्ति का समय है, बल्कि उनके प्रिय भक्तों की पूजा का भी विशेष अवसर होता है। यदि आप पूरे सावन व्यापार या गृहस्थी में व्यस्त रहे तो शनिवार इस साल का आखिरी अवसर है। हनुमान जी, जिन्हें शिवजी का ही अवतार माना जाता है और शनिदेव, जो भगवान शिव के परम भक्त हैं। दोनों की आराधना सावन में अत्यंत फलदायी मानी गई है।
शनिवार, जो शनिदेव की पूजा का प्रमुख दिन है, जब सावन माह में आता है, तब उसका महत्व और भी बढ़ जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव ने शनिदेव को नवग्रहों में श्रेष्ठ स्थान प्रदान किया था और स्वयं शनि उनके आदेशों का पालन करते हैं। इसलिए ऐसा माना जाता है कि सावन के इस आखिरी शनिवार को शिव जी के साथ-साथ उनके परम भक्त शनिदेव और अवतार हनुमान जी की पूजा करने से जीवन की रुकावटों, अस्थिरता और मानसिक परेशानियों से राहत मिल सकती है।
हमारे सनातन धर्म में शनिदेव को कर्मफलदाता कहा गया है, जो व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। उनके अशुभ प्रभाव से जीवन में बाधाएँ, तनाव और संघर्ष बढ़ सकते हैं। ऐसे में शनिदेव की पूजा, तिल तेल अभिषेक और मंत्र जाप शास्त्रों में बताये गए प्रभावी उपाय माने जाते हैं। वहीं, हनुमान जी की भक्ति से शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं। एक कथा के अनुसार, जब हनुमान जी ने त्रेतायुग में रावण की कैद से शनिदेव को मुक्त किया था, तब शनिदेव ने यह वचन दिया था कि जो भी हनुमान जी की पूजा करेगा, उस पर उनका प्रकोप नहीं पड़ेगा। इसलिए शनिवार को हनुमान और शनि दोनों की संयुक्त पूजा अत्यंत उपयोगी मानी जाती है। इसी संदर्भ में, इस सावन के शनिवार, पवित्र उज्जैन स्थित श्री नवग्रह शनि मंदिर में एक विशेष पूजा आयोजित की जा रही है। इसमें 21 विद्वान ब्राह्मणों द्वारा 23,000 शनि मूल मंत्रों का जाप और 1,008 बार संकटमोचन हनुमान अष्टक का पाठ किया जाएगा।
आप भी इस विशेष पूजा में श्री मंदिर के माध्यम से भाग लेकर हनुमान जी और शनिदेव का संयुक्त आशीर्वाद प्राप्त करें और सावन के समापन पर अपने दुख-तकलीफों के अंत की प्रार्थना करें।