मंगलवार का दिन हनुमान जी को विशेष रूप से प्रिय माना गया है। मान्यता है कि इस दिन की पूजा भक्त और भगवान के बीच एक गहरा आध्यात्मिक संबंध स्थापित करती है। वहीं, शनि देव को कर्मों के अनुसार, फल देने वाले देवता हैं। यूं तो शनिवार को शनि देव की पूजा की परंपरा है, लेकिन मंगलवार को हनुमान जी और शनिदेव की संयुक्त पूजा करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है। विद्वानों का विश्वास है कि इस विशेष दिन की पूजा शनि दोषों को शांत कर सकती है और जीवन में एक के बाद एक आ रहीं बाधाओं से राहत दे सकती है। दो सिद्ध तीर्थों में इस मंगलार को सिंदूर चंदन अभिषेक, 11 हजार हनुमान मूल मंत्र और शनि तिल-तेल अभिषेक होने जा रहा है, जिस अवसर को हाथ से न जाने दें।
🪐 हनुमान जी और शनिदेव की चर्चित कथा:
त्रेता युग की एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, रावण ने शनिदेव को बंदी बना लिया था। जब हनुमान जी लंका पहुंचे, तो उन्होंने शनिदेव को कैद से मुक्त कराया। हनुमान जी की इस करुणा से प्रसन्न शनिदेव ने उन्हें वचन दिया कि जो भक्त सच्चे मन से हनुमान जी की पूजा करेंगे, उन्हें शनि के अशुभ प्रभावों से सुरक्षा की दिशा मिलेगी। यही कारण है कि शनि संबंधी कष्टों से पीड़ित लोग हनुमान जी के साथ शनिदेव की आराधना से बहुत जल्द राहत की दिशा पा लेते हैं।
🪐 इस आराधना में अयोध्या के प्रसिद्ध हनुमान गढ़ी मंदिर में 11 हजार हनुमान मूल मंत्र जाप भी किया जाएगा, जिसका बेहद आध्यात्मिक महत्व है। कहते हैं कि यह जाप भक्तों के जीवन से भय, शत्रु बाधा और नकारात्मक ऊर्जा को शांत करता है और साहस, बल के साथ आत्मविश्वास पैदा करता है। हनुमान जी का मूल मंत्र “ॐ हनुमते नमः” उनकी कृपा और संरक्षण का आह्वान है। जब यह मंत्र 11,000 बार श्रद्धा और विधि से किया जाता है तो साधक को मानसिक शांति, रोगों से रक्षा और सफलता का आशीर्वाद मिलता है।
🛕 हनुमान जी को सिंदूर और शनिदेव को तिल-तेल अर्पण की परंपरा
एक लोकप्रिय कथा के अनुसार, एक दिन हनुमान जी ने माता सीता को सिंदूर लगाते देखा। जब उन्होंने कारण पूछा, तो माता सीता ने बताया कि वह भगवान राम की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए सिंदूर लगाती हैं। यह सुनकर, भगवान राम को प्रसन्न करने की गहरी भक्ति में हनुमान जी ने अपना पूरा शरीर सिंदूर से रंग लिया। तभी से उन्हें सिंदूर अर्पित करने की परंपरा शुरू हुई। साथ ही मान्यता है कि शनि देव को तिल और तिल के तेल का अभिषेक करने से उनकी कृपा जल्द प्राप्त होती है, उनका क्रोध शांत होता है और जीवन के शनिदोष दूर होने शुरू हो जाते हैं। यह शनि अनुष्ठान प्रसिद्ध नवग्रह शनि मंदिर में आयोजित होगा।
✨ इस विशेष अवसर पर श्री मंदिर के माध्यम से इस दिव्य अनुष्ठान में शामिल होकर हनुमान जी और शनिदेव के संयुक्त आशीर्वाद का लाभ उठाएं।