💫 सनातन धर्म में रविवार को सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। सूर्य देव को जीवनदाता और ऊर्जा का स्रोत माना गया है, जो समृद्धि, करियर की प्रगति और नेतृत्व में स्थिरता प्रदान करते हैं। सूर्य आराधना में आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ अत्यंत फलदायी माना गया है। कहा जाता है कि इस स्तोत्र के नियमित पाठ से मानसिक, शारीरिक और आत्मिक शक्ति प्राप्त होती है। विशेष रूप से रविवार के दिन इसका पाठ आत्मविश्वास और जीवन में सफलता के मार्ग प्रशस्त करने वाला होता है।
💫 इस रविवार सूर्य पूजा के साथ राहु-केतु शांति अनुष्ठान का महत्व और भी बढ़ जाता है। ज्योतिष मान्यता है कि राहु-केतु दोष व्यक्ति के जीवन में अनपेक्षित विघ्न और अस्थिरता लाते हैं। आर्द्रा नक्षत्र के समय किए जाने वाले राहु-केतु शांति अनुष्ठान से इन ग्रहों के दुष्प्रभावों का असर कम हो सकता है और जीवन में स्थिरता व स्पष्टता आने की संभावना मानी जाती है। इस प्रकार सूर्य पूजा से मिलने वाली ऊर्जा और तेज, तथा राहु-केतु शांति अनुष्ठान से मिलने वाली संतुलन और शांति, दोनों ही मिलकर जीवन को सकारात्मक दिशा प्रदान करते हैं।
💫 इसी कृपा को जीवन में आमंत्रित करने के लिए जयपुर के गलता जी मंदिर में 51 आदित्य हृदय स्तोत्र का विशेष पाठ का आयोजन किया, जिसे सूर्य देव की उपासना का अत्यंत प्रभावी माध्यम माना जाता है। वहीं, वाराणसी के अस्सी घाट पर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया जाएगा, जो दीर्घायु और तेजस्विता का आशीर्वाद देने वाला माना गया है। इसी क्रम में, आर्द्रा नक्षत्र के संयोग पर विशेष राहु-केतु शांति पूजा भी संपन्न होगी, जो विशेषकर उन लोगों के लिए लाभकारी है जिनके जीवन में राहु-केतु दोष के कारण बाधाएँ और असंतुलन अनुभव हो रहे हैं।
💫 श्री मंदिर द्वारा इन पवित्र स्थलों पर आयोजित होने जा रहे इस संयुक्त अनुष्ठान में सम्मिलित होकर भक्त सूर्य देव की कृपा और राहु-केतु शांति का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं, जो जीवन में ऊर्जा, स्थिरता और नेतृत्व क्षमता को सुदृढ़ करने वाला माना जाता है।